For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुक्तिका: वह रच रहा... संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:

वह रच रहा...

संजीव 'सलिल'
*
वह रच रहा है दुनिया, रखता रहा नजर है.
कहता है बाखबर पर इंसान बेखबर है..

बरसात बिना प्यासा, बरसात हो तो डूबे.
सूखे न नेह नदिया, दिल ही दिलों का घर है..

झगड़े की तीन वज़हें, काफी न हमको लगतीं.
अनगिन खुए, लड़े बिन होती नहीं गुजर है..

कुछ पल की ज़िंदगी में सपने हजार देखे-
अपने न रहे अपने, हर गैर हमसफर है..

महलों ने चुप समेटा, कुटियों ने चुप लुटाया.
आखिर में सबका हासिल कंधों का चुप सफर है..

कोई हमें बताये क्या ज़िंदगी के मानी?
है प्यास का समर यह या आस की गुहर है??

लिख मुक्त हुए हम तो, पढ़ सिर धुनेंगे बाकी.
अक्सर न अक्षरों बिन होती 'सलिल' बसर है..
***************************************

Views: 270

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 10, 2010 at 1:15pm
आचार्य जी, वैसे तो पूरी मुक्तिका ही बेहतरीन है पर जो मेरे दिलो दिमाग पर सीधा चोट किया वो है .......
महलों ने चुप समेटा, कुटियों ने चुप लुटाया.
आखिर में सबका हासिल कंधों का चुप सफर है..
क्या खूब कही आपने ....... अंत मे सबको कन्धों का सफ़र करना पड़ता है , बहुत खूब बधाई आपको ,
Comment by sanjiv verma 'salil' on October 9, 2010 at 2:05pm
shukriya.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"धन्यवाद आ. अजय जी व्यभिचार भी यह कहीं प्रतीत नहीं होता की हमेशा करते रहे ..लेकिन व्यभिचार…"
2 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आभार आ. तिलकराज सर "
14 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है ऋचा जी। आदरणीय शिजजु जी और नीलेश भाई ने जो बिन्दु दिए हैं वो…"
19 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"रदीफ़ 'भी करते रहे' पर आपकी स्पष्टता महत्वपूर्ण और समझने का विषय है।  आश्वस्त हूँ कि…"
38 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"तरही मिसरे पर अच्छे अशआर हुए हैं आदरणीय नीलेश जी। मतला बहुत अच्छा है। छल -कपट से देवता व्यभिचार भी…"
41 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शिज्जु भाई, अच्छे अशआर के लिए बहुत बहुत बधाई। गिरह बेहद पसंद आई और तीसरे शेर के लिए ख़ास दाद…"
50 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"मुशायरे का आग़ाज़ करने के लिए बधाई लक्ष्मण भाई। अच्छी ग़ज़ल हुई है पर समय चाह रही है। आदरणीय तिलकराज जी…"
55 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"ग़ज़ल - 2122 2122 2122 212 वक्त बदला तो उसे स्वीकार भी करते रहे जिन्दगी में प्यार का व्यवहार भी करते…"
59 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"राष्ट्र-निष्ठा के प्रकट उद्गार भी करते रहे सारे नेता मिल के भ्रष्टाचार भी करते रहे वो बहाने के लिए…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"भाई शिज्जू जी, आपकी प्रस्तुति कमाल की सोच लेकर सामने आयी है.  जैसे,  धर्म-संकट से बचाना…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय तिलकराज भाईजी, आपने जिस विस्तार से प्रत्येक मिसरा पर धान दिया है वह मंच की गरिमा के अनुरूप…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति पर जिस उदारता और आत्मीयता से आदरणीय तिलकराज सर ने समय दिया…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service