For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु कथा - बैकवर्ड

 
कैलाश एक मल्टीनेशनल कम्पनी में सीईओ हैं सो ऑफिस में बहुत सारी जिम्मेदारियां उन्हें निभानी पड़ती है.
सुबह दफ्तर पहुँचने के बाद दिन कैसे बीत जाता है पता ही नहीं चलता.  लेकिन इन सब के बीच भी दूर गाँव रह
रहे माता-पिता से फ़ोन पर बात कर के उनका हाल चाल लेना नहीं भूलते.  रोज रात को सोने से पहले  उनसे
बात करने का उन्होंने नियम बना लिया था.
कैलाश जी के दफ्तर के हेड ऑफिस से आये हुए चेयरमैन के सम्मान में पार्टी का आयोजन किया गया था. 
सभी सहकर्मी पार्टी का लुत्फ़ उठाने में मशगुल थे.  कैलाश जी हाथ में फ्रूट-जूस का गिलास लिए-लिए यहाँ-वहाँ
घूम-घूम कर सब से मिल-जुल रहे थे. उनके हाथ में फ्रूट-जूस का गिलास देख कुछ मित्रों ने कटाक्ष कर
दिया - क्यों कैलाश जी,  आप ड्रिंक्स नहीं ले रहे? 
कैलाश जी ने हौले से मुस्कराते हुए कहा - नहीं दोस्त, मुझे ड्रिंक्स लेकर माडर्न कहलवाने के बजाये फ्रूट-जूस लेकर
बेवकूफ कहलवाना अधिक पसंद है.  मैं ऐसा कोई काम नहीं करना चाहता जिसकी चर्चा अपनी माँ से करते हुए शर्म आये.

Views: 294

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 29, 2012 at 2:43pm

आदरणीया नीलम जी, हर के जीवन में ऐसे कुछ वाकये होते हैं जो आरोपित नहीं होते सो अचंभित भी नहीं करते, बल्कि प्रतिदिन के सकारात्मक क्षणों के अग्रसरित होने का कारण होते हैं. किन्तु, उस तरह के क्षणों से एकसार न होने के कारण अन्य के लिये वही वाकये उन्हें महान विचित्रता का बोध कराते हैं.

आपकी इस लघुकथा में जो सच्चाई है वह किसी विधा या शिल्प की मोहताज़ नहीं.  एकबारगी तो मुझे लगा कि आपने मेरे दैनिक जीवन के उस पहलू को उजागर कर दिया जिससे मेरे माता-पिता और पारिवारिक सदस्यगण पूरी तरह भिज्ञ हैं.  वस्तुतः, मैं आज भी लगभग सारी बातें उन बातों की महत्ता के हिसाब से अपने माता-पिता से करता हूँ और संतुष्टि ऐसी कि अकथ की ग्लानि का कभी बोध नहीं होता. 

आपका वर्णन सधा हुआ और सात्विक है. 

इस प्रविष्टि हेतु सादर शुभकामनाएँ और हार्दिक बधाइयाँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
11 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
8 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service