For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इण्डिया टी० वी० की ताज़ा  खबर:निर्मल बाबा के जून में दिल्ली श्रीफोर्ट में होने वाले चारों समागम स्थगित हो गए हैं बेचारे बाबा भक्तों के पैसे लौटाएंगे श्रीफोर्ट बुकिंग  के नौ लाख रुपये लौटा दिए I
कठोर बाबा
प्यारे निर्मल भक्तो 
न घबराएँ न शरमाएँ 
यह पैसे लेकर सीघे हमारी शरण में आएँ
और आधे पैसों में दुगुना मज़ा पाएँ 
हम निर्मल नहीं बाबा कठोर हूँ
अब आपकी समस्याओं का इकलौता तोड़ हूँ 
आप पर कृपा बरसेगी जरूर
एक बार हमें भी आजमायें ज़रूर
खीर,पराँठे,गोलगप्पे,रसगुल्ले की रेहढ़ियाँ 
आश्रम के बाहर ही लगाव रखी हैं
पर्स,गहने,चूड़ियों की दुकानें 
आपके लिए सजा रखी हैं
आते जाएँ कृपा पाते जाएँ
हम जो बतलाएँ वो खाते जाएँ 
उनको बना दिया करोड़पति
हमको भी तो लखपति तो बनाते जाएँ
मांसाहारियों के लिए अलग व्यवस्था है
चिंता न करें हमारे फाईवस्टार से सस्ता है 
फोटो हमारी प्यारे भक्तो मिलेगी ऑन डिमांड
स्टूडियो हमारा अपना है कोई कर नहीं सकता कांड 
-----------
आशीर्वाद सहित
 
आपका अपना प्यारा कठोर बाबा 
 
दीपक 'कुल्लुवी'
08 /06 /12 . 

Views: 523

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on June 8, 2012 at 10:49pm
आदरणीय कुलुवी जी .. बेजोड़ ... बहुत बढ़िया व्यंग .. बधाई आपको  
Comment by Albela Khatri on June 8, 2012 at 6:04pm

ha ha ha ha ha ha

Deepak Kuluvi ji kamaal kar diya ........dhmal kar diya ...ha ha ha

badhaai is sundar lekhan ke liye

Comment by SUMIT PRATAP SINGH on June 8, 2012 at 2:26pm

:) :) :)

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on June 8, 2012 at 2:21pm

NEERAJ,MANU,SHUKLA JI AAP SABKA DHANYABAD

Comment by जगदानन्द झा 'मनु' on June 8, 2012 at 2:04pm

आधुनिक बाबाओ   पर सटीक प्रहार , बढ़िया रचना के लिए आपको बधाई 

 

Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 8, 2012 at 1:56pm

क्या बात है कुल्लवी जी , निर्मल के अपोजिट कठोर , पर कुश्वाहाजी की चौथी पंक्ति पर ध्यान दीजियेगा | बधाई |

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on June 8, 2012 at 12:54pm
मेरे सर्वप्रथम भक्त प्रदीप कुशवाहा जी का कठोर बाबा की तरफ से स्वागत है मेरा कंगाल बैंक का अकाउंट न है 420 कुछ न कुछ  डालते  रहें  तभी  कृपा बरसेगी.........
 
सुन्दर लिखा है आपनें ........
DHANYABAAD.....
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 8, 2012 at 12:47pm

आदरणीय कठोर बाबा मेरा शत शत प्रणाम

निर्मल से कठोर बने मुफ्त हुए बदनाम

मुफ्त हुए बदनाम हो गयी ऐसी की तैसी

खूब जमी थी दुकान आपकी बन न सकेगी वैसी

मै तो हूँ पुराना चेला साथ गिल्ली डंडा खेला

छुप छुप के गलियों में चुराया था तबेला 

भूल न जाना याद रखना वो पुराना व्यवहार

अपने साथ साथ करवाना मेरा भी उद्धार 

आपका पुराना चेला.. वसत बहार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service