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लोग कह उठें शाबा शाबा बाबाजी

दहशत-वहशत, ख़ूनखराबा  बाबाजी

गुंडई  ने है  अमन को चाबा बाबाजी
 
काम से ज़्यादा संसद में अब होता है
हल्ला-गुल्ला, शोर-शराबा  बाबाजी

मैक्डोनाल्ड में रौनक बढती जाती है
उजड़ रहा पंजाबी ढाबा बाबाजी

मन मधुबन के भीतर सारे तीरथ हैं 
काशी-वाशी , क़ाबा-वाबा बाबाजी

देश समूचा खा कर ही पिंड छोड़ेंगे
दिल्ली पर जिनका है ताबा बाबाजी

कवि हो तो 'अलबेला' ऐसा गीत लिखो
लोग कह उठें  शाबा शाबा बाबाजी

  जय हिन्द !

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Comment

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Comment by Albela Khatri on June 5, 2012 at 10:53pm

आपका हार्दिक  धन्यवाद  उमाशंकर मिश्रा जी........

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 5, 2012 at 9:56pm

बहुत मजेदार कविता  हास्य एवं व्यंग का संयोजन

अद्भुत है| मजा आ गया पढ़ कर बधाई आपको

Comment by Albela Khatri on June 5, 2012 at 6:33pm

आपकी शाबा शाबा ने तो  मेरे ख़ून में हीमोग्लोबिन  की मात्रा बढ़ा दी है  राजेश कुमारी जी,
आपका हार्दिक धन्यवाद...........

वैसे  देरी के लिए आप सॉरी न कहें  क्योंकि  आपकी इसमें कोई गलती नहीं है .....अरे आप तो पढ़ने में दो चार घंटे लेट हुए....मैं तो लिखने में  कई साल लेट हो गया ......इसलिए सॉरी कहने का अधिकार सिर्फ़ मेरा है ...हा हा हा हा


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 5, 2012 at 6:11pm

वाह वाह वाह इतने अच्छे मजेदार में व्यंग  कौन कर सकता है ...अलबेला जी अब हम भी बोलेंगे शाबा शाबा बाबा जी बहुत शानदार प्रस्तुति (सॉरी पढने में थोड़ी देर हो गई )

Comment by Albela Khatri on June 5, 2012 at 5:50pm

धन्यवाद रेखा जी..........

Comment by Rekha Joshi on June 5, 2012 at 5:46pm

काम से ज़्यादा संसद में अब होता है 
हल्ला-गुल्ला, शोर-शराबा  बाबाजी ,अलबेला जी ,बहुत खूब 

Comment by Albela Khatri on June 5, 2012 at 5:30pm

धन्य हो प्रदीप जी,
आपकी टिप्पणी ने  तो आनन्द करा दिया ........जय हो !

Comment by Albela Khatri on June 5, 2012 at 5:28pm

धन्यवाद सीमा अग्रवाल जी,
आपकी बधाई  सर आँखों पर.............बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 5, 2012 at 5:20pm

गीत तो ऐसा रचया है छा गया वसंत बाबा जी 

दर्शन सारे करा दिए कौन जाए कशी वाशी काबा जी 
बाबाओं के चर्चे आम हुए थे कौड़ी के अब बेदाम हुए 
महलों में प्रवचन करते थे जंगल में धूनी लगाएं बाबा जी 
बधाई. 
इसे भी अखबार में छपवा दें नहीं तो हमें बनवा दें बाबा जी 
Comment by Albela Khatri on June 5, 2012 at 3:11pm

'सूरज' जी, आपकी  दाद पा कर  मुझे भी मज़ा आ गया .......

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