For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये साथ बिताए लम्हें, तुम्हे याद बहुत आयेंगे

ये साथ बिताए लम्हें, तुम्हे याद बहुत आयेंगे,
जब सोचोगे हो तन्हा तो तुमको तड़पायेंगे।।।।

वो फर्स्ट इयर (प्रथम वर्ष) की बातें,

जब खुद पर (खूब) इतराना
कुछ सर जी पूछ न बैठें, इन बातों से घबराना।
कुछ याद भी है छुप-छुप कर नीली-पीली को तकना,
वो इक दिन मेरी होगी, ऐसे खयाल भी रखना।
याद आयेगा उन दिनों का बस गप्पों मे कटना,
पर सेमेस्टर के टाईम, वो रात-रात भर जगना।

सब भूलेंगे लेकिन क्या, ये दिन भी भूल जायेंगे,
ये साथ बिताये लम्हें, तुम्हे याद बहुत आयेंगे।
जब सोचोगे हो तन्हा तो तुमको तड़पायेंगे।।।।।

टीचर की सीरियस बातों को भी मजाक मे लेना,
कगज के टुकड़ों पर लिख कुछ इसको-उसको देना।


आँखों मे इशारे कर के फिर हौले से मुस्काना,
मुँह से कुछ भी ना कहना, बस हाथों से बतलाना।
जब टीचर देखें मुड़ के, तो फिर सीरियस हो जाना,
जैसे सच में सीरियस थे, यूँ पन्नों मे खो जाना।

ये बातें कल ना होंगी, केसे जी बहलायेंगे,
ये साथ बिताए लम्हें, तुम्हे याद बहुत आयेंगे।
जब सोचोगे हो तन्हा तो तुमको तड़पायेंगे।।।।।

रीजल्ट देख के अपना, एकदम से ताव मे आना,
अब टॅाप करेंगे हम ही, इन यादों मे खो जाना।
बारह घण्टे पढ़ने का टाईम-टेबल भी बनाना,
पर शुरू करेंगे कल से, बस यही सोच सो जाना।

कल की आपा-धापी मे, फुर्सत के पल आयेंगे,
तब साथ बिताए लम्हें, तुम्हे याद बहुत आयेंगे।
जब सोचोगे हो तन्हा, तो तुमको तड़पायेंगे।।।।।

आशीष यादव २९-०४-२०१२

Views: 1055

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on May 18, 2012 at 3:18pm

Waah कालेज के दिनों को बड़ी सहजता से उकेरा है  इन पंक्तियों में आशीष जी अपने दिन भी याद हो आये | सच है ये दिन सदा याद आयेंगे एक धरोहर सी होती हैं ये यादें | इस सशक्त रचना के लिए हार्दिक बधाई ||

Comment by आशीष यादव on May 6, 2012 at 12:07am

महिमा दी, अभी तो मै इस खिड़की मे ही हूँ। हाँ बस निकलने वाला हूँ।
आपने पसन्द की बहुत-बहुत धन्यवाद

Comment by आशीष यादव on May 6, 2012 at 12:05am

आदरणीय प्रधान सम्पादक महोदय (योगराज प्रभाकर ji) की टिप्पणी आई, मुझे बहुत खुशी हो रही है। आपने पसन्द की।
आभारी हूँ।
धन्यवाद

Comment by आशीष यादव on May 6, 2012 at 12:02am

आदरणीय Saurabh Pandey sir जी, बहुत-बहुत धन्यवाद

Comment by आशीष यादव on May 5, 2012 at 11:59pm

आदरणीय दुष्यंत सेवक  जी, आपको रचना रूची, श्रम सार्थक हुआ।

मै बता दूँ कि मै अभी कॅालेज छोड़ा नही हूँ बस लास्ट एग्जाम बाकी है। इस सेमेस्टर के बाद तो छूट ही जायेगा।

Comment by आशीष यादव on May 5, 2012 at 11:56pm

वीनस भैया, रचना पसन्द करने हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद

Comment by MAHIMA SHREE on May 5, 2012 at 11:33am
आशीष जी नमस्कार , यादो को खिड़की से कभी -२ झांकना सुखद लगता है ...
बहुत -२ बधाई आपको ...

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 5, 2012 at 11:22am

भई वह आशीष जी,  आपकी रचना तो ३२ साल पीछे ले गई. हाथ पकड़ कर. बधाई स्वीकार करें.  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 3, 2012 at 7:48pm

चलिये, जो बीत गयी सो बात गयी. ..

Comment by आशीष यादव on May 3, 2012 at 7:13pm

हा छोटू भैया, आपने सही कहा। दिन तो याद आते ही है।
रचना पसन्द करने हेतु धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service