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कविता :- शब्द - दीप !

 कविता :-  शब्द - दीप !

 

एक दीप उस द्वार भी जले

खुला जो रहा कई बरस

रोशनी को जो रहा तरस |

 

एक दीप उन दीवारों पर

जो पपड़ीली रुखड़ी सी हैं

घोर तमस में उखड़ी सी हैं |

 

दीप धरो उस ताखे पर भी

जिस पर माँ की मूरत है

कितनी खूबसूरत है |

 

दीप जलाओ ओसारे में

बाबा जिसमे रहते थे

जुग जुग जीओ कहते थे |

 

दीप जले तुलसी चौरे पर

देती नित आशीष हमें

खुशियों की बख्शीश हमें |

 

एक दिया उस देहरी पर धर

राह तक रहा परदेसी का

दिन लौटे उस घर में ख़ुशी का |

 

एक दिया कवि के चरणों में

जिसकी कृतियाँ  थाती हैं  

सच की राह दिखाती हैं  |

 

दिया एक उन चौबारों पर

जो अतीत की गाथा कहते

वर्तमान की घातें सहते |

 

एक दीप मन के मंदिर में

क्लेश द्वेष सब दूर करे

नेह छोह के भाव भरे |

 

 -  अभिनव अरुण {23102011}

 

 

 

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Comment

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Comment by Abhinav Arun on December 31, 2011 at 12:51pm
Shashi ji rachna pasand karne liye Hardik Abhaar !
Comment by shashiprakash saini on December 31, 2011 at 12:44pm

//दीप जलाओ ओसारे में

बाबा जिसमे रहते थे

जुग जुग जीओ कहते थे |//

 आपकी ये रचना दिल को छु गयी अभिनव जी 

Comment by Abhinav Arun on November 8, 2011 at 1:20pm

Apki utsaahvarddhak tippani ke liye abhaar shri Saurabh ji !! " ek diya aap jaise sameekshakon aur sahityik jano ke samman men bhi "


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 7, 2011 at 4:48pm

//दिया एक उन चौबारों पर

जो अतीत की गाथा कहते

वर्तमान की घातें सहते |//

सकारात्मक और उदार इच्छाओं का समुच्चय मनोहारी है.

बधाई.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on November 2, 2011 at 11:26pm

स्वागत है मित्र अभिनव जी !

Comment by Abhinav Arun on November 2, 2011 at 7:36pm
Hardik abhaar Ambarish ji apke snehsikt udgaar ke liye.
Comment by Er. Ambarish Srivastava on November 1, 2011 at 11:35pm

//एक दिया कवि के चरणों में

जिसकी कृतियाँ  की थाती हैं  

सच की राह दिखाती हैं  |

 

दिया एक उन चौबारों पर

जो अतीत की गाथा कहते

वर्तमान की घातें सहते |//

आदरणीय अरुण जी ! जिसे लोग विस्मृत कर बैठे हैं उसे भी आपकी इस रचना नें मान दिया है ! इस सार्थक सृजन हेतु आपको हार्दिक बधाई मित्रवर !

Comment by Abhinav Arun on October 31, 2011 at 12:47pm

thanks dushyant ji aapne is rachna ko padha aur tippani di abhaar aapka . aisi rachnao ke pathak aaj kam hain .jeevan kee bhaag daud men sahity vastav me hashiye par hai but thanks to OBO for this good apportunity .

Comment by दुष्यंत सेवक on October 31, 2011 at 11:47am

वाह वाह अरुण जी, दीपावली पर इससे बेहतर कामना क्या हो सकती है की उन हिस्सों को रोशन किया जाए जहाँ रोशनी को रास्ता न मिला हो, आपकी पंक्तियाँ यथार्थ रूप ले इन्ही कामनाओं के साथ दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें पूरे सेवक परिवार की ओर से

Comment by Abhinav Arun on October 30, 2011 at 1:49pm
एक दीप जला ...शायद उसकी रोशनी जहां तक पहुंचनी चाहिए थी वहाँ तक नहीं पहुंची ....पर ये दीप फिर जलेगा ...हर शाम रात से करने को दो - हाथ  ..

जब तक है अँधेरे का अंदेशा !! HAPPY FESTIVITY !!

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