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 कहते हैं

बस दो दिन और 
लेकिन दो दिन  और मिल जाते 
तब भी उतना ही कर पाते 
जितना अब तक किया है 
ययाति की तरह 
हम सब मौत से मोहलत 
मांगते रहते हैं 
और युग बीत जाने पर भी 
उस मोहलत के रंग नहीं खिला पाते 
रहते हैं वहीं ,चले थे जहां से 
कोल्हू के बैल की तरह 
 ढोते हैं जिन्दगी 
बिना आगे बढे 
तब तक मौत वापस आ जाती है 
वादा निभाने को कहती है ,और 
हम लाचार से चल पड़ते हैं ,
उसके साथ ,खाली हाथ 
रावण की तरह चाहते तो हैं ,लेकिन 
न लगा पाते सीढियां स्वर्ग तक 
वक्त जाया करते हैं ,
झूठे अहंकार में या कि प्रमाद में ,
बिना ये समझे कि 
मौत का भी एक दिन है 
दो दिन की जिन्दगी में  
बचा हुआ एक ही दिन है 
जो चाहें कर लें |


मोहिनी चोरडिया 
 
 

 

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Comment by Kailash C Sharma on September 9, 2011 at 6:38pm

मौत का भी एक दिन है 
दो दिन की जिन्दगी में  
बचा हुआ एक ही दिन है 
जो चाहें कर लें |
.....बहुत सच कहा है। गहन चिंतन से परिपूर्ण सुंदर सारगर्भित अभिव्यक्ति।

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