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क्या होती हैं ये यादें

यादें क्यों याद आती हैं
क्यों होती हैं ये यादें
क्या कहना चाहती हैं ये यादें
क्यों तड़पाती हैं ये यादें
क्यों याद आती हैं ये यादें
क्यों ना भुला कर भी भुला पाती हैं ये यादें
क्यों बार बार भिगो देती हैं नयनो को ये यादें
क्यों दुख देती हैं ये यादें
क्यों कमजोर बनाती हैं ये यादें
क्यों भावुक बनाती हैं ये यादें
क्यों धुंधली हो कर भी गायब नही होती हैं ये यादें
क्यों मिटाए ना मिटती हैं ये यादें
क्यों लौट आती हैं धुंधली यादें भी
क्यों कड़वाहट होती है कुछ यादों में
क्यों कुछ यादें दर्द के निशान छोड़ जाती हैं
क्यों तीर की तरह चुभती हैं यादें
क्यों सताती हैं ये यादें
क्यों दोहराती है वक़्त क साये को
क्यों बेवक़्त अतीत दोहराती हैं ये यादें
क्यों अतीत के साये से पीछा ना छुड़ाने देती हैं ये यादें
क्यों यादों के गम के सागर मे डुबो देती हैं ये यादें
क्यों पागल बना देती हैं यादें अगर अतीत के गम से ना उबर पाए कोई
क्यों यादें निर्जीव होती हैं
क्यों नही होता कोई अस्तिव इन यादों का
क्यों सजीव नही होती ये यादें
क्यों इन यादों को जीना का सहारा कहा जाता है
जबकि ये तो गमों का भवसागर है
कुछ के लिए जीने का मकसद
कुछ के लिए बदले की भावना
कुछ के लिए जीती जाती तस्वीर
कुछ के लिए कड़वी यादें सफलता का सूत्र
बेरंग सी हैं ये यादें
किसी के लिए दर्द हैं ये यादें
किसी के पास फीकी यादें भी होती हैं,लेकिन क्या उन फीकी यादों का कोई अस्त्तिव होगा
किसी के लिए जिंदगी की नई उमीद, नई किरण ,नई आशा ,नये होसले ,नये उड़ाने
अतीत की हुई भूलों को सुधारने का मौका देती है ये यादें
पुराने अनुभवों से सीखा कर जीवन नये की राह दिखाती हैं ये यादें
कोई इसे जीवन जीने की मिठास मानता है
कोई इसे अतीत के बीते हुए मीठे लम्हो से आनंदमय होने का बहाना बताता है
आख़िर क्या होती है ये यादें
क्यों होती हैं ये यादें
बड़ी अजीब होती हैं यादें
हर याद का अपना एक नया स्वरुप है
बस यादें ,यादें ही रह जाती हैं
बस यादें ही याद आती आती हैं

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Comment by आशीष यादव on August 3, 2011 at 7:49pm

waah,

aakhir yaadon ki yaad me aapne un sb ko shamil kar diya kiske liye kya hai yaade. kisko achchhi lgti hai, kisko buri lagti hai. bahut kuchh.

ha bagi ji ne sahi kaha ki b hawnatmak hai.

badhai.

Comment by Rohit Dubey "योद्धा " on July 31, 2011 at 5:10pm

Awesum


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 31, 2011 at 5:09pm

अभिव्यक्ति भावनात्मक ज्यादा है, बधाई |

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