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'ग़ालिब'की ज़मीन में एक ग़ज़ल

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फाइलुन

दूर कितनी शादमानी और है
कुछ दिनों की जाँ फिशानी और है

मेरे फ़न की दाद सबने दी मुझे
आपकी बस क़द्रदानी और है

हो चुकीं सब मौत की तैयारियाँ
दोस्तों की नोहा ख़्वानी और है

है ख़बर सबको बहादुर वो नहीं
उसकी वज्ह-ए-कामरानी और है

दास्तान-ए-इश्क़ तो तुम सुन चुके
ज़िन्दगानी की कहानी और है

दोस्तों से तो मुआफ़ी मिल गई
मुझको ख़ुद से सरगरानी और है

लग रहा है उनकी बातों से "समर"
उनके दिल में बदगुमानी और है
---
शादमानी-ख़ुशी
जाँ फिशानी-कोशिश
नोहा ख़्वानी-रोना पीटना,मातम करना
कामरानी-जीत
सरगरानी-नाराज़गी
समर कबीर
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by Samar kabeer on October 24, 2017 at 5:34pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on October 24, 2017 at 5:32pm
जनाब डॉ.आशुतोष मिश्रा जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on October 24, 2017 at 5:29pm
बहना कल्पना भट्ट'रौनक़'जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on October 24, 2017 at 5:28pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on October 24, 2017 at 5:26pm
जनाब अफ़रोज़'सहर'साहिब आदाब,ग़ज़ल आपको पसंद आई लिखना सार्थक हुआ,शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on October 24, 2017 at 5:23pm
जनाब बृजेश कुमार'ब्रज'साहिब आदाब,ग़ज़ल में जो चीज़ आपको अच्छी लगे कृपया उसे भी इंगित किया करें,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on October 24, 2017 at 5:21pm
जनाब कालीपद प्रसाद मण्डल जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
'हो चुकीं सब मौत की तैयारियां
दोस्तों को नोहा ख़्वानी और है'
आपने फ़रमाया है में इस शैर को ग़ज़ल से निकाल दूँ,मैं आपकी महब्बत का दिल से क़द्रदान हूँ,और आपकी दुआ पर आमीन कहता हूँ,लेकिन मेरे भाई ये शैर कैफ़ियत का है, इसमें जो मंज़र कशी की गई है आपने मेरी महब्बत में उस पर ग़ौर नहीं किया,बहरहाल आपकी इस सादगी पर दिल-ओ-जान से क़ुर्बान हूँ ।
Comment by Samar kabeer on October 24, 2017 at 5:11pm
जनाब बासुदेव अग्रवाल'नमन'जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on October 24, 2017 at 5:09pm
जनाब दिनेश कुमार जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on October 24, 2017 at 5:08pm
जनाब एडमिन महोदय आदाब,मेरी इस ग़ज़ल को फीचर में लेने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

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