For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

है वही रास्‍ते 

पथरीले चौड़े

पतले पक्‍के

घट गये रास्‍ते

बढ़ गयी दूरियाँ

 है वही गिलास

शरबतों से भरे

शराब से खाली

नशा प्‍यार का

नशा नशा का

दरवाजों पे दरबार

मन की शांति

मन का तनाव

भूला प्‍यार

बचा टकरार

वही है  रिश्‍ते

निभाने की होड़

दिखावट की होड़

मदद चाहत

मदद डर

प्रेम है वहीं

मन का मिलन

तन का मिलन

समर्पित  हम

धन समर्पित

कल हम आज हम

वही कल आज वही

सूरज वही रौशनी वही 

चॉंद वही चॉंदनी वही

मगर ना वही

तुम्‍हारी सभ्‍यता

तुम्‍हारे संस्‍कृति

ना तुम्‍हारे संस्‍कार

तुम्‍हारी पहचान वही

आज

लोभ,अहंकार

आधुनिकता

निर्लज्‍जता

और आडंबर में

बदल गया संसार

बदल गया संसार

 

 

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी की रचना

Views: 638

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 19, 2013 at 11:50pm

बहुत अच्छा लगता है कि आप गंभीर प्रयास के प्रति आग्रही हैं..

शुभेच्छाएं

Comment by Akhand Gahmari on December 13, 2013 at 11:03am

आदरणीया वंदना जी उत्‍साहवर्धन हेतु प्रणाम

Comment by Akhand Gahmari on December 13, 2013 at 11:02am

आदरणीय शिज्‍जू शंकर जी उत्‍साहवर्धन हेतु प्रणाम

Comment by vandana on December 13, 2013 at 7:14am

बहुत बढ़िया आदरणीय 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2013 at 10:07pm

अच्छा प्रयास है आदरणीय अखंड गहमरी जी बधाई स्वीकार करें

Comment by Akhand Gahmari on December 12, 2013 at 8:18pm

आदरणीया coontee mukerji जी आपके मार्गदर्शन के हम अभिलाषी है, आप अपने विचार से हमें अगवत कराये, निखार के विषय में थोडा मार्गदर्शन करे

Comment by coontee mukerji on December 12, 2013 at 6:18pm

तुम्‍हारी सभ्‍यता

तुम्‍हारे संस्‍कृति

ना तुम्‍हारे संस्‍कार

तुम्‍हारी पहचान वही

आज

लोभ,अहंकार

आधुनिकता

निर्लज्‍जता

और आडंबर में

बदल गया संसार

बदल गया संसार...........बहुत सुंदर लिखा है अखण्ड जी,भाव विचार भी अच्छे है लेकिन थोड़ा और सँवार देंगे तो रचना निखर आएगी.यह मेरा मत है. ज़रूरी नहीं कि अमल किया जाय. शुभेच्छु

 

Comment by Akhand Gahmari on December 12, 2013 at 4:48pm

आदरणीय डा गोपाल नारायण श्रीवास्‍तव उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन हेतु प्रणाम

Comment by Akhand Gahmari on December 12, 2013 at 4:48pm

आदरणीया मीना पाटकर जी उत्‍साहवर्धन हेतु प्रणाम

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 12, 2013 at 4:45pm

गहमरी जी

बहुत सी बाते जो कल थी आज भी है 

पर बदल गया संसार

शीर्षक विचारणीय है  i   आपको सतत प्रोत्साहन

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी शुक्रिया आ और गुणीजनों की टिप्पणी भी देखते हैं"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता हूँ। छठा और…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय आज़ी तमाम साहिब आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें, ग़ज़ल अभी…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"221 2121 1221 212 अनजान कब समन्दर जो तेरे कहर से हम रहते हैं बचके आज भी मौजों के घर से हम कब डूब…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"221 2121 1221 212 तूफ़ान देखते हैं गुजरता इधर से हम निकले नहीं तभी तो कहीं अपने घर से हम 1 कब अपने…"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"निकले न थे कभी जो किनारों के डर से हमकिश्ती बचा रहे हैं अभी इक भँवर से हम । 1 इस इश्क़ में जले थे…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, मुशायरे का आग़ाज़ करने के लिए और दिये गये मिसरे पर ग़ज़ल के उम्दा…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"चार बोनस शेर * अब तक न काम एक भी जग में हुआ भला दिखते भले हैं खूब  यूँ  लोगो फिगर से हम।।…"
6 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"221 2121 1221 212 अब और दर्द शे'र में लाएँ किधर से हम काग़ज़ तो लाल कर चुके ख़ून-ए-जिगर से…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"सपने दिखा के आये थे सबको ही घर से हम लेकिन न लौट पाये हैं अब तक नगर से हम।१। कोशिश जहाँ ने …"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"वाक़िफ़ हैं नाज़नीनों की नीची-नज़र से हम दामन जला के बैठे हैं रक़्स-ए-शरर से हम सीना-सिपर हैं…"
12 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service