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"इक तो तू  रोज दारू पीकर आता है, रोज समय से पहले भाग जाता है...और जो काम बताओ, उसे पूरा ही नहीं करता...ऐसा कर, कल से काम पे आना बंद कर..समझ !" रामेश्वर ने रोज रोज से तंगाकर गुस्से में कहा..

लखन ने बिना पछतावा किये, वहां से जाते हुए कहा..."अपने को क्या, सरकार इतना सस्ता राशन दे रही है, बच्चे स्कूल में दिन को खा ही आते है, घरवाली मजूरी करती ही है....अपनी बोतल...."

जितेन्द्र ' गीत '

( मौलिक व्  अप्रकाशित )

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 14, 2013 at 11:50pm

सही कह रहे हैं आप आदरणीय गिरिराज जी, शायद हमारे देश के नेता गरीबों के वोट पाने  के चक्कर में, ऐसे हथकंडे अपनाते हो..

आपका बहुत बहुत आभार

सादर! 

Comment by वीनस केसरी on September 14, 2013 at 11:40pm

वाह जी ....
ऐसा भी होता है ....

Comment by annapurna bajpai on September 14, 2013 at 11:32pm

आदरणीय जितेंद्र जी बढ़िया लघु कथा , सरकार तो वैसे ही नस्ल बिगड़ने का काम कर रही है । बधाई आपको ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 14, 2013 at 9:47pm

सिक्के का सही पक्ष तो हर बार सामने आना है, चाहे जैसे उछालो. लघुकथा के माध्यम से खोटे सिक्के की इस उछाल के लिए आपको हार्दिक बधाई भाई जीतजी.. .

शुभ-शुभ


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 14, 2013 at 8:40pm

वाह भाई वाह, गज़ब का तंज किया है, सरकार निठल्ला बनाने की पूरी तैयारी कर ली है, अब तो सुनने में आ रहा है क़ि मोबाइल भी टॉक टाइम के साथ मिलेगा, बढ़िया है !!

अच्छी लघुकथा पर बधाई प्रेषित है । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 14, 2013 at 6:09pm

वाह !! जितेन्द भाई !! सरकारी राहत सच मे यही असर दिखा रही है !! एक दिन कमाओ महीने भर खाओ, बिना काम किये  !!  बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

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