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इस बदलते मौसम में अपनी हिफाजत खुद करे (हास्य व्यंग)-लक्ष्मण लडीवाला

भाई राज दवा नवी की  डायरी के चालीसवे पन्ने ने बदलते मौसम से बेखबर से मुझे खबर कर दिया |
गर सीलिंग फेन की गडगडाहट बंद होती है, तो रियाज करते मच्छरों की आहंग (संगीत,आवाज) या 
गुनगुनाहट हलकी नींद को उड़ा देती है | डेंगू जैसा मच्छर  काट गया तो मै भी करोडो अनजाने लोगो
से सैकड़ो जाने पहचाने डेंगू मरीजों में शुमार हो जाऊँगा, यह सोंचकर ही गहरी नीद नहीं ले पाता हूँ | 
और फिर अगर डेंगू की महरावानी से और बेचारे हमारे असहाय डाक्टर की असमर्थता के  कारण 
आदरणीय यश चोपड़ा की तरह अखबारों और मीडिया चैनेलों की नज़रों में आगया, तो श्रद्धांजलियों 
के अहसान के बोझ तले  दब जाने का डर भी सताने लग रहा है | फिर एक और सवाल जहन में ये है 
कि इन श्रद्धांजलियों के प्रति आभार भी तो व्यक्त करने के लिए खुदा तीन दिन बाद एक बार पुनः 
जीवन नहीं देता, जैसे तीन दिन बाद ईसा मसीह जीवित हो उठे थे | अब मेरे जैसे मच्छर समान व्यक्ति 
पर प्रभु इतनी कृपा करेंगे, इसका आश्वासन भी कोई नहीं दे सकता | 
 बस अब तो पञ्च तत्वों की आराधना करने और मौसम देवता को महरवानी करने की प्रार्थना करने
 के अतिरिक्त और कोई चारा नजर नहीं आता | मुझ जैसे करोडो लोगो के पास मौसम परिवर्तन के दौर 
तक विदेश घूम आने की सामर्थ्य भी तो नहीं है | 
अतः इस बदलते मौसम में कृपया अपनी हिफाजत खुद ही करे | सावधान रहे | स्वस्थ रहे |रब्बा खैर करे | 
ॐ हरी शरणम् |  
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर 

 

 

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 27, 2012 at 9:49am

हास्य व्यंग में आपको बदलते मौसम से सावधान करने का प्रयास पसंद आया,इसके लिए आपका  हार्दिक आभार विनीता शुक्लाजी 

Comment by राज़ नवादवी on October 26, 2012 at 11:12pm

नवादवी से बना दिया दवा नवी, अब तो आपकी खैर लें सबके नबी! मौसम के बदलते करवट के आहंग को कर दिया मच्छरों के नाम, ये कैसा पासा पलट दिया भाई लक्षनम ने, हाय राम! बधाई हो आदरणीय लक्षनम जी! 

हाहाहाहा, सादर! 

Comment by Vinita Shukla on October 26, 2012 at 10:14pm

हास्य व्यंग्य का पुट लिए, बदलते मौसम से; एक अलग ही अंदाज़ में चेताने वाली रोचक रचना. बहुत बहुत बधाई आपको.

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