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बन गया तुम्हारी याद हूँ मैं/ग़ज़ल

कुछ कह न सकूं राहे दिल पर बरबाद हूँ या आबाद हूँ मै ।

रहती है तेरी याद मुझे या खुद ही तेरी याद हूँ मै ।
 

ठुकराया भी तुमसे न गया अपनाया भी तुमसे न गया,

उल्फत के दर फरियादी की इक टूटी सी फरियाद हूँ मै ।

मैं जिस्म हूँ कोई माटी का इस जिस्म की जान तुम्ही तो हो,
कुछ भी न तुम्हारे पहले था कुछ भी न तुम्हारे बाद हूँ मै ।

ये दर्दे जुदाई भी तेरी ये इश्के खुदाई भी तेरी,
तेरे गम में गमगीन फिरूँ तेरे मद में दिलशाद हूँ मै ।

मै पंछी जग के पिंजरे का तू आसमान सा है मुझको,
तू अपनी कैद में रख ले अब इस कैद में ही आज़ाद हूँ मै।

नीरज मिश्रा

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Neeraj Nishchal on February 13, 2018 at 9:38am

बहुत बहुत हार्दिक आभार सोमेश जी

Comment by somesh kumar on February 12, 2018 at 10:22am
मै पंछी जग के पिंजरे का तू आसमान सा है मुझको,
तू अपनी कैद में रख ले अब इस कैद में ही आज़ाद हूँ मै।

बहुत उम्दा भाव है अच्छे प्रयास पर बधाई

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