For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ढूंढती मुस्कान मेरी

ढूंढती  मुस्कान मेरी  एक निशंक सा बहाना 
आने का बहाना , जाने का  बहाना 
मेरे बुलाये से नहीं आती तो नहीं ही आती है  
बावरी है पगली है  समझ ही नहीं पाती है 
कि कितनी जरूरत है मेरे चेहरे को 
अकारण  उसके चस्पां होने की 
वो नहीं समझती कि
बिना उसके 
मेरे चहरे पर सच्चा ब्यान लिखा होता  है 
निरंतर एक  युद्ध  घमासान लिखा होता है 
इसके आने से पर्दा महीन सही पर आ जाता है 
स्वंय को भुलावे पे यकीन नहीं ,पर आ जाता है 
बावरी है पगली है  समझ ही नहीं पाती है 
कि कितनी जरूरत है मेरे चेहरे को 
अकारण  उसके चस्पां होने की 
मुझे इसके नखरे समझ नहीं आते हैं 
बाज़ार में इतनी मंदी है 
पर इसके भाव हैं कि चढ़ते ही जाते हैं 
पर इसको भी क्या दोष दूं 
जानती हूँ  कि पकड़ लेती है वो 
 मेरा सफेद झूठ 
 मेरे अभिनय का  बेदम प्रयास 
पढ़ लेती है मेरी नाकामयाबी 
निरंतर स्वंय से  युद्धरत बेताबी 
तो  इसको भी क्या दोष दूं 
मैं उसको बुला भी लूं 
वो आ भी जाए 
शहीद के सूने घर में स्वर्ण मैडल जैसी 
तो भी पूर्व स्थिति बहाल तो नहीं हो पाती है 
सामना हो भी जाए तो 
मैं भी उससे नज़रें नहीं मिला पाती 
वो भी सहज कहाँ हो पाती है 
वो भी खिसियाती  है 
शायद घबराती है 
इसको भी क्या दोष दिया जाए 
रोज़ ही किसी पंचायत के फैसले की खबर आ जाती है 
 ख़बर से बहते खून से ये मासूम  बिखर- बिखर जाती है  
 फंदे से  झूलती मासूम मुस्कान  से सिहर- सिहर जाती है 
मैं मुस्कान को ढूंढती फिरती हूँ  वो है कि लगातार टूटती जाती है 
मैं मुस्कान को ढूंढती फिरती हूँ  वो है कि लगातार रूठती  जाती है 
दूं मैं उसे कैसे कोई ठौर ,दूं  मैं उसे कैसे कोई ठिकाना 
ढूंढती  मुस्कान मेरी  एक ही  बहाना  निशंक सा बहाना , आने का बहाना .............."मौलिक व अप्रकाशित".

Views: 370

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amita tiwari on May 25, 2016 at 8:46pm

कांता जी 

आप तक मेरी उद्वेलना पहुँची .बस लिखना  सार्थक हो गया .

यहाँ के प्रमुख अखबार के प्रथम पृष्ठ पर  भारत की एक पंचायत द्वारा एक मासूम नाबालिग  बच्ची पर एक अमानवीय सजा के बारे में पढ़ा .

यकीन  ही नहीं आता ये व्ही धरती है जहाँ  गाय तक के माता का दर्जा मिलने न मिलने पर तूफ़ान आ जाते हैं और  दूसरी तरफ  पूरी पंचायत  मूर्छा में सोती रहती है और मासूम बच्चों पर ज़ुल्म हो  जाते हैं?

कहाँ खो गया  वो मेरा देश जहाँ  बच्चों को भगवान् का रूप समझा जाता रहा है 

Comment by kanta roy on May 25, 2016 at 8:48am
ख़बर से बहते खून से ये मासूम  बिखर- बिखर जाती है  
 फंदे से  झूलती मासूम मुस्कान  से सिहर- सिहर जाती है ---- उद्वेलित  मन  से  निकली अप्रितम रचना  है  ये आपकी  आदरणीया  अमिता  जी ,बधाई  स्वीकार  कीजिएगा  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
2 hours ago
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाई, ओबीओ की परम्परा का क्या ही सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत किया है आपने ! जय…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा है। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मेरे कहे को मान देने और अनुमोदन हेतु आभार। सादर"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service