For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जैसे तैसे काम चलाता है आदमी - डा० विजय शंकर

बहुत दिन हो गए हँसी मजाक किये हुए ,
बहुत दिन हो गए कोई व्यंग लिखे हुए ,
तो चलो आज ही ये काम भी कर लेतें हैं
बीते बहुत दिन परेशान जमाने को हँसे हुए ।
मित्रों , हँसना है तो विवेक-मुक्त होकर हँसे अन्यथा शब्दों में ही रह जायेगें और हस भी नहीं पायेगें .

जैसे तैसे काम चलाता है आदमी ,
कोई काम ठीक से कर नहीं पाता है आदमी .
यह तो सृष्टि की अद्वितीय रचना हैं , जो
एक साथ सत्रह - अदठ्ठारह काम
कर लेतीं हैं , बिना कोई गलती किये .
वो एक साथ खाना बना लेतीं हैं ,
उबलता दूध बिना गिराये हुए ,
साथ में मोबाईल पर
जरुरी काम निपटाते हुए ,
मायके और ससुराल को तुलनाते हुए ,
पड़ोसिनों की आदतें बताते हुए ,
अपनी हर ख़ास सहेली के हर राज बताते हुए ,
अपने पति को अवगुणों की खान बताते हुए ,
पति (देव) पर पूर्ण दृष्टि फिराते हुए ,
और एक पति , एक कप चाय भी बनाएगा ,
तो किचेन को युद्ध-स्थल सा छोड़ आएगा ,
वो कहेंगीं , आप तो न , मेरे किचेन में
जाया न करो , मेरा काम बढ़ाया न करो .
कितने आगे बढ़ गयीं वो ,
कितना पीछे रह गया आदमी .
फिर भी उनकीं भावना देखिये
आस्था और विश्वास देखिये ,
वो पति जो सीधा सादा है ,
सीधे रस्ते आता है ,
सीधे रस्ते जाता है .
उनकें हिसाब से ,
जिसको कुछ नहीं आता है .
उसे वो सुधार के रहेंगीं
अपनी मर्जी का बना के रहेंगीं .
क्योंकि पूरा है विश्वास ,
मन में है विशवास ,
पक्का है विशवास .
वो होंगीं कामयाब .
वो होंगीं कामयाब .
----------------
मौलिक एवं अप्रकाशित
डा० विजय शंकर

Views: 672

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 7, 2014 at 2:53am
धन्यवाद आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, कभी कभी यूँ भी।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 6, 2014 at 11:56pm

अधपकुये पतियों की अच्छी खबर ली है आपने आदरणीय विजय शंकरजी.. . बहुत खूब !

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 27, 2014 at 10:13am
आदरणीय डॉ o प्राची सिंह जी , हास्य है , थोड़ा हसा दे काफी है , आपको पढ़ना अच्छा लगा , खुशी हुयी , बधाई के लिए धन्यवाद । वैसे आजकल के पति अच्छी चाय बना लेते हैं और किचेन भी साफ़ छोड़तें हैं , हाँ , मेरे पिता जी के लिए चाय बनाना बहुत कठिन था , लेकिन दो चार लोगों के साथ मिलकर बना लेते थे ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 26, 2014 at 3:04pm

और एक पति , एक कप चाय भी बनाएगा ,
तो किचेन को युद्ध-स्थल सा छोड़ आएगा ,................हाहाहा :) सही 

इस हास्य प्रयास पर बधाई आ० डॉ० विजय शंकर जी 

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 25, 2014 at 7:44am
आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला जी ,
रचना आपको हसा सकी , सार्थक हो गयी ,
आपकी शुभ कामनाओं के लिए धन्यवाद।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 22, 2014 at 10:43am

हँसाने में कामयाब रचना के लिए बधाई श्री (डॉ)विजय शंकर जी 

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 20, 2014 at 12:41am
आ o कल्पना जी , बातें खरी हैं और रोचक दृष्टि से सही भी हैं। हाल ही मैनें गूगल पर ही देखा है ,किसी शोध के आधार पर यह पाया गया है कि महिलायें एक साथ कई कई काम कर लेनें की क्षमता रखती हैं , वे शोर गुल में भी अपना ध्यान केंद्रित रख लेतीं हैं जब कि पुरुष एक समय में केवल एक ही कार्य पर ध्यान केंद्रित कर पातें हैं , उसमें भी शोर गुल उन्हें विचलित कर देता है। पर इससे कविता का हास्य काम मत करियेगा। बधाई हेतु धन्यवाद।
सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 20, 2014 at 12:28am
आपको कविता अच्छी लगी , आ o महिमा श्री जी , धन्यवाद।
Comment by कल्पना रामानी on June 19, 2014 at 10:41pm

मज़ाक में बहुत खरी खरीबातें  लिखी हैं आदरणीय  विजय जी, बधाई आपको

Comment by MAHIMA SHREE on June 19, 2014 at 8:05pm

हा हा बहुत बढ़िया .. आदरणीय विजय शंकर जी ... वाकई में मुस्कान आ गई .. बहुत -२ बधाई आपको सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
1 hour ago
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाई, ओबीओ की परम्परा का क्या ही सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत किया है आपने ! जय…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा है। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मेरे कहे को मान देने और अनुमोदन हेतु आभार। सादर"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service