For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 कल रात फिर यही हुआ बादलों और दामिनी ने कहर  ढाया मूसलाधार पानी बरसा घर के पीछे की दीवार से लगा पेड़ जिस पर परिंदों का बसेरा था चरमरा कर टूट गया अचानक बहुत दिन पहले लिखी ये कविता जो मेरी कविता संग्रह ह्रदय के उद्द्गार मे भी प्रकाशित हुई ,याद आ गई आदरणीय admin जी की अनुमति हो तो कृपया पोस्ट करदें आपकी आभारी| 

बादलों ने कहर बरपाया

दामिनी ने उपद्रव मचाया

टहनी चटकी पात पात

नभचर रोये सारी रात

दरख्त का कन्धा टूट गया

अपना घरोंदा छूट गया

माँ कैसे अब भरण बसर होगा ?

.....पुनः जतन करना होगा |

तेरी कोमल कम्पित काया

पंख मेरे अब तेरी छाया

इनमे छुपाकर रख लूं तुझको

निज तन की ऊष्मा देदू तुझको

माँ तेरा तन कैसे गरम होगा ?

.....पुनः जतन करना होगा |

माँ मैं तेरी कोख का जाया

मैं समझूं हर तेरी माया

दाना दुनका नहीं मांगूंगा मैं

बिन चुगे अब रह लूँगा मैं

तुझे करना  कोई अब श्रम होगा

.....मेरे नन्हे पुनः जतन करना होगा |

देखो माँ सूरज उग आया

आलोक से तेरा भाल गर्माया

मैं भी बाहर  जाऊँगा

तेरा हाथ बटाऊँगा

तेरा गम सब हरना होगा

माँ मुझको अब उड़ना होगा|

**********

 

 

 

Views: 642

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2012 at 5:16pm

प्रिय किरण आर्य जी बहुत बहुत हार्दिक आभार रचना पसंद करने के लिए 

Comment by Kiran Arya on September 21, 2012 at 4:42pm

तेरा गम सब हरना होगा

माँ मुझको अब उड़ना होगा|........
राजेश जी इसके बाद कुछ नहीं रह गया कहने को शेष हमारे लिए शब्द नहीं है कुछ कहने को..............:))


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2012 at 2:24pm

सतीश अग्निहोत्री जी हार्दिक   आभार रचना पसंद आई आपको 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2012 at 2:23pm

गणेश बागी जी आपकी प्रतिक्रिया से प्रोत्साहन  मिला हार्दिक आभार 

Comment by Satish Agnihotri on September 21, 2012 at 1:29pm

हृदयस्पर्शी रचना के लिए ..आपको ढेर सारी बधाई .........


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 19, 2012 at 2:53pm

//तेरा गम सब हरना होगा
माँ मुझको अब उड़ना होगा|//

प्राकृतिक आपदा और उससे लड़ने का जज्बा, वाह वाह, बहुत ही प्यारी रचना, बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 19, 2012 at 12:25pm

हार्दिक आभार सीमा अग्रवाल जी आप रचना के मर्म तक पंहुची आपकी प्रतिक्रिया ने उत्साह वर्धन किया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 19, 2012 at 12:24pm

हार्दिक आभार रेखा जोशी जी आपको कविता पसंद आई 

Comment by seema agrawal on September 19, 2012 at 11:33am

.....पुनः जतन करना होगा |...पूरी रचना का सार इस सकारात्मक पंक्ति में निहित है 

बहुत अच्छी रचना राजेश जी बधाई 

Comment by Rekha Joshi on September 19, 2012 at 10:54am

मैं भी बाहर  जाऊँगा

तेरा हाथ बटाऊँगा

तेरा गम सब हरना होगा

माँ मुझको अब उड़ना होगा|,अति सुंदर भाव आदरणीया राजेश जी ,हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"आदाब। बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक लघु लघुकथा से आयोजन का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
11 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"रोशनी की दस्तक - लघुकथा - "अम्मा, देखो दरवाजे पर कोई नेताजी आपको आवाज लगा रहे…"
21 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"अंतिम दीया रात गए अँधेरे ने टिमटिमाते दीये से कहा,'अब तो मान जा।आ मेरे आगोश…"
23 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"स्वागतम"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ

212 212 212 212  इस तमस में सँभलना है हर हाल में  दीप के भाव जलना है हर हाल में   हर अँधेरा निपट…See More
Tuesday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"//आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Saturday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत धन्यवाद"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service