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ऐ गम ! जा के ढूंढ़ ले कोई दूसरा घर

ऐ गम ! जा  के  ढूंढ़ ले  कोई  दूसरा घर  , 

दिल में आज से मेरे , बसेरा उनका होगा ..
              इस घर का मालिक अब तू नही है ,वो हैं 
              खाली अभी तुझे  , घर ये करना होगा ..
दीवानगी ने उनकी पागल किया है हमको 
पागलपन का कर्ज तुझको ही भरना होगा ...
             घर ही तेरा अब ,  बेघर तुझे कर रहा है 
             खातिर इस घर की बेघर तुझे रहना होगा ...
जिस तन्हाई की छाँव में तू पला-बढ़ा है 
उस तन्हाई को भी साथ तेरे रहना होगा ...
            दर्द ने भी साथ तेरा  निभाया था अच्छा 
            साथ अपने चलने को उसे भी कहना होगा ..
गर चले गये "वो "तो फिर याद आयेगा तू ,
मेहमान चंद पलों का,तुझको बनना होगा  ..
            है नही बेनकाब तो, चेहरा " उनका " भी  
           पर्दा हटने का मगर ,इंतजार करना होगा ////

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Comment

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Comment by Ajay Singh on June 26, 2012 at 12:54pm

जी , अपने विचार प्रकट करने के लिए आप सबका आभार .....

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 26, 2012 at 12:00am

है नही बेनकाब तो, चेहरा " उनका " भी  

पर्दा हटने का मगर ,इंतजार करना होगा
बहुत सुन्दर रचना अजय जी बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है बधाई 
Comment by Yogi Saraswat on June 25, 2012 at 4:18pm

इस घर का मालिक अब तू नही है ,वो हैं 

              खाली अभी तुझे  , घर ये करना होगा ..
बहुत खूब ! सुन्दर अभिव्यक्ति !
Comment by Rekha Joshi on June 25, 2012 at 3:08pm

Ajay ji ,

घर ही तेरा अब ,  बेघर तुझे कर रहा है 

             खातिर इस घर की बेघर तुझे रहना होगा  sundr abhivykti 
Comment by Albela Khatri on June 25, 2012 at 11:47am

जय हो आपकी अजय सिंह जी
बहुत खूब !

जिस तन्हाई की छाँव में तू पला-बढ़ा है 
उस तन्हाई को भी साथ तेरे रहना होगा ...
            दर्द ने भी साथ तेरा  निभाया था अच्छा 
            साथ अपने चलने को उसे भी कहना होगा ..

___शानदार रचना के लिए अभिनन्दन  !
Comment by Ajay Singh on June 24, 2012 at 2:24pm

Dhanyawad  respected Pradeep ji...........

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 24, 2012 at 1:47pm

अजय जी, सादर 

अभी नगर निगम के चुनाव परिणाम नहीं आये और आपने नोटिस दे दिया 

बधाई.

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