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इन्तजार की अवधि

मृत्यु जब तक तुम्हे
वरण नहीं कर लेती
तब तक करो इन्तजार
रखो अटल  विश्वास

गले लगा लो
सारी  प्रवंचनाएं

मत ठुकराओ
दुनियावी बंधन
मान-अपमान की  पीड़ाएँ
भीड़ व् अकेलेपन की दुविधाएं
सभी अपना लो
सदियों की  धूल

लगा लो माथे पे
चूम लो सारे
अनुग्रह -आग्रह
बाँहे फैला कर
स्वीकार कर लो
जिसे व्यर्थ समझ
ठुकराया था अब तक
क्योंकि तभी आसां हो  पाएगी
मृत्यु के इन्तजार की  अवधि

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Comment

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Comment by MAHIMA SHREE on April 12, 2012 at 1:55pm
धन्यवाद सरिता दी ,
अब तक आपने सिख लिया होगा .हिंदी में कमेंट्स करना
Comment by Sarita Sinha on April 12, 2012 at 12:07am

mahima ji namaskar,

vishvas , pravanchnayein, asha  dhool.....

in mote aksharon ne bata diya ki antim samay tak kya kya jhelna hai...

sundar kriti ki badhai lijiye.....(aur mujhe hindi me comment karna sikhaiye...)

Comment by MAHIMA SHREE on April 2, 2012 at 10:56am
आदरणीय अरुण जी,,
नमस्कार ...
आपको पसंद आई ..आपके सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद
Comment by MAHIMA SHREE on April 2, 2012 at 10:55am
आदरणीय अरुण जी,,
नमस्कार ...
आपको पसंद आई ..आपके सराहना और उत्साहवर्धन के लिए बहुत
बधाई...
Comment by Arun Sri on April 2, 2012 at 10:41am

यही प्रतीक्षा और त्याग प्रेम को अमरता की श्रेणी को ले जाता है ! बहुत भावपूर्ण कविता !

.

दो पंक्तियाँ याद आ रही हैं --

मिले इस बार तो कई लोग बिछड जाएँगे

इंतज़ार और करो अगले जनम तक मेरा

Comment by MAHIMA SHREE on April 2, 2012 at 10:33am
नमस्कार वाहिद जी,
आप तो गजल के महारथी हो हमे तो अभी A, B ,C D भी
नहीं आती बस अतुकांत से ही अभी काम चला रहे है....पर ABO पे बहुत कुछ सीखने और पढने का मौका मिल रहा है....पर समयाभाव के वजह से समय नहीं दे प् रही ... सराहने के लिए .आपका हार्दिक धन्यवाद..
Comment by MAHIMA SHREE on April 2, 2012 at 10:25am
नमस्कार जवाहर सर
देर से reply के लिए क्षमा चाहती हूँ ...सच कहा आपने अगर हम जीवन की सत्यता को आसानी से अपना ले तो हर तरह के भय और चिंता से अपना जीवन मुक्त रहे पर यही तो हम कर नहीं पाते....सादर आभार और आपका हार्दिक धन्यवाद
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 1, 2012 at 1:20pm

सुन्दर दार्शनिक अभिव्यक्ति महिमा जी! आपकी महिमा अपरम्पार है| ;-))

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 30, 2012 at 9:56pm

क्योंकि तभी आसां हो  पाएगी
मृत्यु के इन्तजार की  अवधि

कितनी अर्थपूर्ण बातें कही है आपने! अगर मनुष्य यह समझ ले, तो फिर कोई डर नहीं, चिंता नहीं, मृत्यु से गले मिलने का जी चाहे! 

Comment by MAHIMA SHREE on March 30, 2012 at 1:43pm
आदरणीय कुमारी जी
सादर नमस्कार .
आपको रचना पसंद आई , सराहा इसके आपका हार्दिक धन्यवाद..स्नेह बनाए रखे

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