Added by Dr. Swaran J. Omcawr on April 9, 2013 at 6:00pm — 5 Comments
तृतीय खंड
पाठक के लिए:
Added by Dr. Swaran J. Omcawr on April 5, 2013 at 11:39am — 14 Comments
तृतीय खंड
पाठक के लिए:
Added by Dr. Swaran J. Omcawr on April 4, 2013 at 4:23pm — 11 Comments
गंगा, (ज्ञान गंगा व जल गंगा) दोनों ही अपने शाश्वत सुन्दरतम मूल स्वभाव से दूर पर्दुषित व व्यथित, हमारी काव्य कथा नायक 'ज्ञानी' से संवादरत हैं।
Added by Dr. Swaran J. Omcawr on April 1, 2013 at 7:56pm — 16 Comments
गंगा, (ज्ञान गंगा व जल गंगा) दोनों ही अपने शाश्वत सुन्दरतम मूल स्वभाव से दूर पर्दुषित व व्यथित, हमारी काव्य कथा नायक 'ज्ञानी' से संवादरत हैं।
Added by Dr. Swaran J. Omcawr on March 26, 2013 at 8:30pm — 8 Comments
गंगा, (ज्ञान गंगा व जल गंगा) दोनों ही अपने शाश्वत सुन्दरतम मूल स्वभाव से दूर पर्दुषित व व्यथित, हमारे काव्य नायक 'ज्ञानी' से संवादरत हैं।
प्रस्तुत…
ContinueAdded by Dr. Swaran J. Omcawr on March 23, 2013 at 1:30pm — 2 Comments
व्यथित गंगा ज्ञानि से संबोधित है.
गंगा की व्यथा ने ज्ञानि के हृदय को झजकोर दिया है. गंगा उसे बताती है मनुष्य की तमाम विसंगतियों, मुसीबतों, परेशानियों का कारण उस का ओछा ज्ञान है जिसे वह अपनी तरक्की का प्रयाय मान रहा है.
इस ज्ञान ने उसे…
ContinueAdded by Dr. Swaran J. Omcawr on March 21, 2013 at 1:30pm — 7 Comments
गंगा कहती रहीं-
‘और तुम्हारे ज्ञानी गण
केवल पारब्रह्म का रास्ता ही नहीं बताते
जिस पारब्रह्म का मन्दिर सिर्फ आत्मा होती है
धरती पर वे बताते हैं मन्दिर कहाँ बनेगा!
और यहां से उठ कर
किन दिलों को तोड़ना है
सब का हिसाब बना रखा है
सब व्यवस्था कर रखी है
मानव मल का बोझ मैं ढो लूंगी
पर मानवीय क्रूरता के इस अथाह मल को
वे मेरे पानियों…
Added by Dr. Swaran J. Omcawr on March 17, 2013 at 8:06pm — 8 Comments
चलिये शाश्वत गंगा की खोज करें में सब अतिथि blogers का स्वागत है. आप के पर्संसात्मक comments का धन्यवाद यह एक लम्बी काव्या कथा है कृपया बने रहें. कोशिश करूंगा आप को निराश न करूं. यदि रचना बोर करने लगे तो कह देना.
Dr. Swaran J. Omcawr
गंगा कहती रहीं- ज्ञानि सुनता रहा
‘तुम इतना ताम-झाम करते हो!
इतनी…
Added by Dr. Swaran J. Omcawr on March 15, 2013 at 3:00pm — 10 Comments
चलिये शाश्वत गंगा की खोज करें (2) की द्वितीय कड़ी में सब अतिथि blogers का स्वागत है. आप के पर्संसात्मक comments का धन्यवाद यह एक लम्बी काव्या कथा है कृपया बने रहें. कोशिश करूंगा आप को निराश न करूं. यदि रचना बोर करने लगे तो कह देना. मैं दुसरे टॉपिक्स में शिफ्ट हो जाऊंगा.
Dr. Swaran J Omcawr
ज्ञानी
दिग्भ्रमित!…
Added by Dr. Swaran J. Omcawr on March 13, 2013 at 5:00pm — 10 Comments
चलिये शाश्वत गंगा की खोज करें (1)
देश में बहती है जो गंगा वह है क्या?
वह पानी की धारा है या ज्ञान की?
भई दोनों ही तो बह रही हैं साथ साथ, शताब्दियों से!
आज इक्कीसवीं शताब्दि में लेकिन दृष्य कुछ और है.
इस महान् देश की दो महान् धारायें अब शाष्वत नहीं, शुद्ध नहीं, मल रहित नहीं.
धारा में फंसा है ज्ञान या ज्ञान में फंस गई है धारा!
कौन…
Added by Dr. Swaran J. Omcawr on March 12, 2013 at 5:30pm — 14 Comments
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