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Janki wahie's Blog – October 2015 Archive (1)

सोच

तीन दिन से जितनी तेज़ी से मूसलाधार बारिश हो रही है , उतनी ही तेज़ी से रामचरण के घर में भूख की भट्टी ज़ल रही है।



" अदालत तक चलोगे भाई ?"

"ज़रूर साहब जी"

"तेरा लाख-लाख धन्यवाद भगवान " कह रामचरण रिक्शा हाँकने लगा ।

"अरे भाई ! आज़ कोई चलने को तैयार ही नहीं हो रहा, तुम कैसे हो गए ?"

"साहब जी,ये पेट क्या न कराये ।"

"हाँ...ठीक कह रहे हो भाई ,कितना कमा लेते हो दिन भर में ?"

"बस चूल्हा ज़ल जाता है साहब जी।"

"सुनो,एक बात कहूँ ,मज़बूरी न होती तो मैं तुम्हारे रिक्शे… Continue

Added by Janki wahie on October 3, 2015 at 5:53pm — 4 Comments

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