बह्र 2122 2122 2122
रंजो ग़म में दिल मेरा उलझा हुआ है।
अश्क़ से तकिया तभी भीगा हुआ है।।
तू समझ पाये भी कैसे ये रवानी।
इश्क़ का दरिया तेरा सूखा हुआ है।।
साथ रहकर साथ वो क्योंकर नही था।
हर ज़ुबां पे ये सवाल आया हुआ है।।
ग़म मुझे दो और तुम हद से ज़ियादा।
क्योंकि ये चेहरा मेरा हँसता हुआ है।।
रास्ते भटकूँगा आख़िर क्यों भला मैं।
वक़्त का पहलू मेरा देखा हुआ है।।
पी के सब कड़वाहटें इस ज़िन्दगी की।
दोस्तों लहजा मेरा…
Posted on January 16, 2017 at 12:30pm — 10 Comments
Posted on November 22, 2016 at 5:10pm — 6 Comments
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