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Anita Rashmi
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Anita Rashmi posted a blog post

विश्वास

आज भी भैया-भाभी उसे मनाने आ गए। बिन्नी चार महीने पूर्व ही ब्याही गई थी। मात्र चार दिन ही साथ रह पाई कि बुलावा आ गया था। मेंहदी का रंग फीका न हुआ था, पाँवों का महावर भी टुह-टुह लाल था, उसने पति के भाल पर लाल तिलक लगा फ्रंट पर भेजा था। उनके जाने के बाद घर उसका, वह घर की होकर रह गई थी। फौजी की बेहद कर्मठ ब्याहता उसकी बाँसुरी को हर समय साथ रखती। बाँसुरी दोनों के बीच एक डोर की तरह थी। "इसे कभी न छोड़ना। जहाँ भी रहूँगा, मैं तेरा रहूँगा। और तू मेरी। है न? रहेगी न?""चल तू।" "मैं नहीं जा सकती।…See More
Jan 31, 2022
Anita Rashmi replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-82 (विषय: 'सैन्य जीवन)
"लघुकथा विश्वास --------- आज भी भैया-भाभी उसे मनाने आ गए। बिन्नी चार महीने पूर्व ही ब्याही गई थी। मात्र चार दिन ही साथ रह पाई कि बुलावा आ गया था। मेंहदी का रंग फीका न हुआ था, पाँवों का महावर भी टुह-टुह लाल था, उसने पति के भाल पर लाल तिलक लगा फ्रंट…"
Jan 31, 2022
Anita Rashmi replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-81
"हार्दिक धन्यवाद। सही कि डॉक्टर से मरीज भय नहीं खाते। पर इस रचना में व्यंग्य ध्वनि को पकड़ें। अंत में पिता ऊपर देखते हुए जो कहता है, उसे देखें ( ऊपर देखना याने ईश के करीब चिकित्सक को मानना। )"
Dec 30, 2021
Anita Rashmi replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-81
"चिकित्सा ------------ " डाॅ. साहब! मेरा बेटा अब आपके हवाले है तो जैसा आप उचित समझें, करें।" "आपको भय नहीं लगेगा?" "किस बात का?" "हम आपके बेटे का ट्रिटमेंट ठीक से नहीं करेंगे?" "नहीं, एकदम…"
Dec 30, 2021
Anita Rashmi is now a member of Open Books Online
Nov 29, 2021

Profile Information

Gender
Female
City State
Ranchi
Native Place
Ranchi
Profession
Writer

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विश्वास

आज भी भैया-भाभी उसे मनाने आ गए।

बिन्नी चार महीने पूर्व ही ब्याही गई थी। मात्र चार दिन ही साथ रह पाई कि बुलावा आ गया था। मेंहदी का रंग फीका न हुआ था, पाँवों का महावर भी टुह-टुह लाल था, उसने पति के भाल पर लाल तिलक लगा फ्रंट पर भेजा था।

उनके जाने के बाद घर उसका, वह घर की होकर रह गई थी।

फौजी की बेहद कर्मठ ब्याहता उसकी बाँसुरी को हर समय साथ रखती। बाँसुरी दोनों के बीच एक डोर की तरह थी।

"इसे कभी न छोड़ना। जहाँ भी रहूँगा, मैं तेरा रहूँगा। और तू मेरी। है न? रहेगी न?"

"चल…

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Posted on January 31, 2022 at 7:00pm

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At 10:36am on April 9, 2024, Erica said…

I need to have a word privately, please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com) Thanks.

 
 
 

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"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
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