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अइसन मौसम आइल बा
मनवा अब फगुआइल बा।1

खिल रहल बा कली गुलाबी
भौंरा खूब अगराइल बा।2

टहले के मिलल तब निमन
नाहीं तब गभुआइल बा।3

कर रहल मनुहार गुनगुन
कली अबहीं अलसाइल बा।4

पाठ पढवलख जब पुरवाई
कलिया खुल मुसुकाइल बा।5

रंग-बिरंगी छटा फिजा में
पलभर में छितराइल बा।6

चुनरी उड़ल जात हवा में
बड़गद के हिया जुराइल बा।7

बहुते उपर उड़ते-उड़ते
गमछा जाके अझुराइल बा।8

कह रहल सब लोग चहक के
अबहिंए फगुआ आइल बा।
मौलिक व अप्रकाशित@मनन

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Replies to This Discussion

एक तय ई मीठी बोलिया ताहू  के ऊपर ई मिठका ग़ज़ल।

 कमाल हो गईल आदरणीय मनन जी ,साँचे कहब तय मानब ?  कि  ई तय धोती के फाड़  कर  रुमाल हो गईल।  बहुत  नीमन ग़ज़ल कहल बारां रौआ , फगुआ के रंग चढ़ गईल ई ग़ज़ल पढ़ी के।  बधाई स्वीकार करी अपने के।  

आ. कांता जी,
राउर पारखी नजर के आभार बा
ई फगुआ के रंग त बेसम्हार बा
केतनो उड़े इचिको बचिये जाला
लोग कहेला जे अबहीं उधार बा।,सादर

हा हा हा हा .....बहुत बढ़िया बा ईहो जी . सादर :)))))

"बढिया बा इहो जी",वाह!क्या बात है!

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