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नवीन जी,
नमस्कार ,
महा इवेंट -२ की सफलता के लिए बधाई स्वीकार करें . आपके निवेदन पर मै भी भाग लेने का साहस कर रहा हूँ. जैसा की आपने निवेदन किया था कि "प्रेम" पर सामान्य रचनाओं के अलावा देश- प्रेम , प्रकृति- प्रेम आदि पर लिखी गई रचनाओं का विशेष स्वागत है, तो इक ग़ज़ल प्रेम होने पर नायक को क्या अनुभव होता है ... इस पर- " यक़ीनन ये मुहब्बत है " और दूसरी ग़ज़ल भारत की वर्तमान दशा पर केन्द्रित-- "भारतवासी दिखती है " भेज रहा हूँ. शायद आपको पसंद आये.
नवीन जी, मेरा अपना इक ब्लॉग है -- Gazals of VIBHUTI KUMAR . क्या इन प्रेषित ग़ज़लों को मैं अपने ब्लॉग पर डाल सकता हूँ. ज़वाब के इंतजार में---
आपका---
विभूति कुमार.
निरिक्षक , सीमा शुल्क,पटना.
१. यक़ीनन ये मुहब्बत है
वही रुत है मगर आज फ़जाओं में इक मसर्रत१है
हवा अटखेलियाँ करती या शाखों की शरारत है
जी करता है बेवज़ह सही जी भर उनकी करूँ बातें
ज़माने को ज़िक्रे दिलबर से जाने क्यों शिकायत है
सुना था आदमी पर जादू का भी असर पड़ता है
न मानो यार तुम पर ये मुद्दआ इक हक़ीकत है
कर रहे हो रश्क़ क्यों तुम इस तरह मेरी किस्मत से
थी कल तक संग तेरी वो मगर अब मेरी किस्मत है
जो देखा आपकी मख़मूर२ आँखों में अक़्श अपना
न संवरने से मतलब ना आईने की ज़रूरत है
इक सुरूर ख़ुशी का मुझ पे यूँ ही छाया सा रहता है
मेरे दोस्तों को मेरे रुख़ पे दिखती इक सबाहत३ है
हसीं परछाईं कोई बारहा४ आ जाये ख़्वाबों में
"विभूति"समझ जरा ये तो यक़ीनन ही मुहब्बत है
१.ख़ुशी,२.नशीली,३.सुन्दरता,४.प्रायः
२. भारतवासी दिखती है
आस पास के चेहरों पर, अजब मायूसी दिखती है
हंसी सजी है लबों पर, आखों में उदासी दिखती है
सैलाब बादलों का बस,उमड़ता रहता आसमान पर
क़िस्मत नदी की फ़लक,पानी में प्यासी दिखती है
इबादत तो इबादत ही है, कहे ख़ुदा या ईश्वर कोई
ग़ौर भी किया मैंने,एक सी क़ाबा-काशी दिखती है
किस वक़्त लुट जाएँ हम,किसी राह पे यूँ ही चलते
अजीब सा शहर है तेरा,ग़ज़ब ख़ामोशी दिखती है
क्यों कर रहो हो ख़ून तुम , दैरो-हरम की आढ़ में
रंजिशों के ये हालत नहीं, बात ज़रा सी दिखती है
कब तलक यूँ बहकाबे में तस्कीम होते रहोगे तुम
लफ़्ज-ए-रहनुमा यारो, फ़क़त सियासी दिखती है
जाने किस किस नाम से,ज़र जनता का लूटा गया
देख 'कमिटी' , उम्मीदे इंसाफ बुझी सी दिखती है
दिलो जुबां पर हो न कभी नाम कौम-रियासत का
चीर के देखा रूहे 'विभूति' ,भारतवासी दिखती है
बहुत बहुत धन्यवाद अरुण जी , मेरा लिखना सफल रहा.
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