For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा"अंक २९

परम आत्मीय स्वजन,

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के २९ वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है|इस बार का तरही मिसरा हिन्दुस्तान के हरदिल अज़ीज़ शायर/गीतकार जनाब राहत इन्दौरी जी की गज़ल से लिया गया है| यह बह्र मुशायरों मे गाई जाने वाली बहुत ही मकबूल बह्र है|यूं तो राहत इन्दौरी साहब अपने सारे कलाम तहत मे पेश करते हैं और अगर आपने रूबरू उनसे उनकी यह गज़ल सुन ली तो आप इसके मोह को त्याग नहीं सकेंगे| तो लीजिए पेश है मिसरा-ए-तरह .....

"इन चिराग़ों में रोशनी भर दे"

२१२२ १२१२  २२ 

फाइलातुन मुफाइलुन फेलुन 

(बह्र: खफीफ मुसद्दस मख्बून मक्तुअ)
 
रदीफ़ :- दे
काफिया :- अर (भर, कर, पत्थर, मंज़र, बराबर आदि)
विशेष:
१.    इस बह्र मे अरूज के अनुसार कुछ छूट भी जायज है, जैसे कि पहले रुक्न २१२२ को ११२२ भी किया जा सकता है| उदाहरण के लिए ग़ालिब की ये मशहूर गज़ल देखिये...
 
दिले नादाँ तुझे हुआ क्या है 
११२२ १२१२ २२
आखिर इस दर्द की दवा क्या है 
२१२२ १२१२ २२
 
२.    अंतिम रुक्न मे २२ की जगह ११२ भी लिया जा सकता है| हालांकि इस काफिये मे यह छूट संभव नहीं है परन्तु जानकारी के लिए यह बताना आवश्यक था| 


मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २८ नवंबर दिन  बुधवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक ३० नवंबर  दिन शुक्रवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा | 

अति आवश्यक सूचना :-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के इस अंक से प्रति सदस्य अधिकतम दो गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं |
  • एक दिन में केवल एक ही ग़ज़ल प्रस्तुत करें
  • एक ग़ज़ल में कम से कम ५ और ज्यादा से ज्यादा ११ अशआर ही होने चाहिएँ.
  • तरही मिसरा मतले में इस्तेमाल न करें
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी रचनाएँ लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.  
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें.
  • नियम विरूद्ध एवं अस्तरीय रचनाएँ बिना किसी सूचना से हटाई जा सकती हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी. . 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो २८ नवंबर दिन  बुधवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें | 



मंच संचालक 
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह) 
ओपन बुक्स ऑनलाइन

Views: 14428

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

कौन कहता है तू बराबर दे
पर ज़रूरत तो एक सी कर दे

बहुत सुंदर ग़ज़ल आदरणीय तिलक जी

वो जिसे छत खुदा ने दी नीली
काश उसके लिये कभी घर दे।

आदरणीय तिलक राज जी आपकी गजलों की  प्यास रहती है 

लाजवाब है  हार्दिक बधाई 

मूसलों से तुझे लगे डर तो
ओखली में कभी न तू सर दे।

पैर फ़ैला मगर तू उतने ही
जिन हदों तक तुझे वो चादर दे।........बहुत खूब मुहावरों का अच्छा प्रयोग किया है आपने 

बढ़ रहा है हदों से आगे वो
आइना उस के सामने धर दे।...वाह क्या खूब कहा है 

आदरणीय तिलक राज जी, सादर नमन!

कौन कहता है तू बराबर दे 
पर ज़रूरत तो एक सी कर दे।... बहुत सुन्दर कहन 

बढ़ रहा है हदों से आगे वो
आइना उस के सामने धर दे।...वाह 

वो जिसे छत खुदा ने दी नीली
काश उसके लिये कभी घर दे।......निःस्वार्थ इच्छा 

यह तीनों शेर लाजवाब हैं , हार्दिक दाद क़ुबूल करें 

 

तिलक साहब, आज की जनता के लिए अच्छा पैगाम है - सुरिन्दर रत्ती -  मुंबई  

पैर फ़ैला मगर तू उतने ही
जिन हदों तक तुझे वो चादर दे।

इन किताबों के वर्क खाली कर
प्रेम के सिर्फ़ ढाई आखर दे।

वाह आदरणीय तिलकराज जी.. क्या ख़ूब ग़ज़ल .. क्या शानदार शे'र..

कौन कहता है तू बराबर दे
पर ज़रूरत तो एक सी कर दे।

बढ़ रहा है हदों से आगे वो
आइना उस के सामने धर दे।

जबरदस्त कहा है तिलक जी, दाद कुबूल करें।

कौन कहता है तू बराबर दे 
पर ज़रूरत तो एक सी कर दे।

बहुत सुन्दर गुजारिश. कुर्बान जाऊं 

बधाई 

aadarniye tilak sir bahut khoobsoorat ghazal hui hai har sher umda ban pada hai bahut bahut mubarakbad pesh karta hoon

कौन कहता है तू बराबर दे 
पर ज़रूरत तो एक सी कर दे।wah

पैर फ़ैला मगर तू उतने ही
जिन हदों तक तुझे वो चादर दे।nice

 

आदरणीय कपूर साहेब , आपकी ग़ज़ल पर टिप्प्णी करूँ , खुद ऐसी स्थिति में नहीं पा रहा हूँ . बस यही कहूंगा ------------------ शानदार .

आदरणीय कपूर साहिब, बहुत ही सशक्त ग़ज़ल....ये दो आशार बहुत ही पसंद आये

//पैर फ़ैला मगर तू उतने ही
जिन हदों तक तुझे वो चादर दे।//

//इन किताबों के वर्क खाली कर
प्रेम के सिर्फ़ ढाई आखर दे।//

हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीया प्रतिभा जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार ।"
4 seconds ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, उत्साहवर्धन करती आपकी प्रतिक्रिया के लिये हार्दिक आभार "
27 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय गिरिराज जी, उत्साहवर्धन करती इस प्रतिक्रिया के लिये हार्दिक आभार "
31 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय गिरिराज जी, उत्साहवर्धन करती इस प्रतिक्रिया के लिये हार्दिक आभार "
34 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"शाबाशी की थपकियाँ, सच्ची सी आशीष ।अपनों के ही प्यार में, खिलते पुष्प शिरीष ।।//वाह...बहुत सुन्दर…"
42 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"क़र्ज़ के दलदल में धँसती जा रही है ज़िन्दगी  कब तलक ख़ैरात ही से घर चलाए जाएँगे...वाह…"
47 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय सुशील कुमार सरना जी आदाब, सुंदर दोहा सप्तक के लिए बधाई स्वीकार करें। "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी आदाब, आपकी रचना बहुत अच्छी लगी, बधाई स्वीकार करें। "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी आदाब, मुझे गीत विधा की जानकारी नहीं है, लेकिन रचना अच्छी लगी है,…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब, मनभावन, बहुत उम्दा कविता हुई है ढेरों दाद और मुबारकबाद क़ुबूल…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, समसामयिक सुंदर ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बागापतवी  जी , आपका बहुत शुक्रिया , आपकी सलाह के अनुसार  बदलाव कर लूंगा "
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service