मित्रों आप सबके समक्ष है नए सालका नया तोहफा एक नए कोने के माध्यम से| प्रस्तुत है भूले बिसरे गीतों की कहानी " गीत भूले बिसरे"| प्रतिदिन साईट में दाहिनी तरफ परिवर्तित होने वाला यह कोना आप सबको ऐसी पुरानी यादों में ले जायेगा जो मष्तिष्क के किसी कोने में अब भी तरो ताज़ा
हैं| ऐसे गीत जिन्हें जिन्हें ज़माने में उडी धूल की परतों ने धुंधला कर
दिया है, जिन्हें सुनकर पुराने दिन चोले बदल कर सिरहाने आ बैठते हैं, दिल
के कसी कोने में एक हलचल सी मचाती है| आपकी यादों के इन्ही घरौंदों को बचा
कर रखने की एक कोशिश है " गीत भूले बिसरे"|
*मुख्य पृष्ठ पर स्थान उपलब्ध करने के लिए OBO प्रबंधन को भी बहुत बहुत धन्यवाद|
आशा है आपको यह प्रयास बहुत पसंद आयेगा|
इस कोने के बारे में अपनी प्रतिक्रया से ज़रूर अवगत कराएं|
आपका अपना
(राणा प्रताप सिंह)
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दोस्तों आज जो गीत प्रस्तुत करने जा रहे है वह 1973 में चेतन आनंद द्वारा निर्देशित फिल्म हंसते ज़ख़्म से है, इस गीत को स्वर दिया है बलबीर और मोहम्मद रफ़ी ने ,संगीत निर्देशक हैं मदन मोहन
गीत है-- ये माना मेरी जान मोहब्बत सज़ा है, मज़ा इसमे इतना मगर किसलिए है.
दोस्तों आज जो गीत प्रस्तुत करने जा रहे है वह 1967 में मनोज कुमार द्वारा निर्देशित फिल्म उपकार से है, इस गीत को स्वर दिया है मन्ना डे ने ,संगीतकार हैं-- इंदीवर, कल्याण जी- आनंद जी
गीत है- कसमे वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या...
दोस्तों आज की प्रस्तुति है 1966 मे शहीद लतीफ द्वारा निर्देशित बहारें फिर भी आएँगी से... संगीतकार हैं ओ.पी. नय्यर और गीतकार हैं शेवेन रिज़वी और अज़ीज़ कश्मीरी...
गीत है--- आपके हसीन रुख़ पे आज नया नूर है, मेरे दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर है....
दोस्तों आज की प्रस्तुति है 1959 मे के आसिफ़ द्वारा निर्देशित फिल्म मुगल-ए-आज़म से... स्वर दिया है मोहम्मद रफ़ी ने...संगीत निर्देशक हैं नौशाद और गीतकार हैं शकील बदायानी
गीत है-- ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद ए मोहब्बत ज़िंदाबाद
होली के मौसम मे और होली के रंगीन माहौल के बीच आज की प्रस्तुति है फिल्म सिलसिला (1981) से...इस गीत को स्वर से सजाया है खुद अमिताभ बच्चन ने....संगीत है शिव हरी का....
गीत है-- रंग बरसे भीगे चुनर वाली रंग बरसे...
आदरणीय शारदा जी, आप के महत्वपूर्ण विचार हेतु हम आभारी है, हमें अच्छा लगता है कि सदस्य अपने बेबाक विचार से हमें अवगत कराते है और यह आपके OBO पर ही संभव है |
OBO का उद्देश्य आज भी वही है जो कल था, कल भी हम लोग साहित्य को और साहित्यकारों को बढ़ावा देने हेतु प्रयत्नशील थे और आज भी है, हमारी सारी गतिविधिया पूर्व की भाति संचालित है |
गीत भूले बिसरे के माध्यम से हम लोग उन साहित्यकारों और कलाकारों को नमन करते है जो भारतीय संगीत जगत को नई उचाईयों पर पहुचाया है और दुनिया में उनके बदौलत भारतीय सिनेमा उद्योग कृतिमान स्थापित कर रहा है |
यदि सदस्यों को लगता है कि OBO का यह कदम सार्थक नहीं है तो हम वादा करते है कि गीत भूले बिसरे को बंद कर दिया जायेगा | OBO परिवार के सदस्यों से उनके विचार आमंत्रित है |
होली के मौसम मे और होली के रंगीन माहौल के बीच आज की प्रस्तुति है फिल्म शोले (1975) से...इस गीत को स्वर से सजाया है आशा भोंसले और किशोर कुमार ने...संगीत निर्देशक हैं आर.डी.बर्मन और गीतकार हैं आनंद बक्शी..
गीत है-- होली के दिन दिल खिल जाते हैं रंगों मे रंग मिल जाते हैं....
साथियों आज की प्रस्तुति है प्रकाश मेहरा द्वारा निर्देशित फिल्म मुक़द्दर का सिकंदर (1978) से...इस गीत को स्वर से सजाया है किशोर कुमार ने...संगीत निर्देशक हैं कल्याणजी आनंदजी और गीतकार हैं अंजान]
गीत है-- ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना..
साथियों आज की प्रस्तुति है बी. आर. चोपड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म निकाह (1982) से...इस गीत को स्वर से सजाया है पाकिस्तानी गायिका सलमा अगा ने.....संगीत हैं रवि शंकर का और गीतकार हैं हसन कमल/
गीत है-- दिल के अरमान आंशुओं मे बह गये..हम वफ़ा करके भी तन्हा रह गये..
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