For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माननीय साथियो,
सादर वन्दे !


दिनांक ७ अक्टूबर से ९ अक्टूबर २०११ तक ओबीओ के मंच से आयोजित "ओबीओ लाइव महा उत्सव" अंक १२, जिसका विषय "बचपन" था, का संचालन ओबीओ कार्यकारिणी के एक कर्मठ सदस्य श्री धर्मेन्द्र शर्मा जी ने किया ! यह आयोजन कई मामलों में एक रंगीन और हसीन गुलदस्ते की तरह रहा, जहाँ दिए गए विषय (बचपन) पर एक से बढ़कर एक रचनायें पढ़ने को मिलीं ! बचपन का ज़िक्र आते ही एक बेफिक्री और मस्ती का ज़माना आँखों के सामने बरबस आ जाता है ! लेकिन रचनाकार सिर्फ इसी दायरे ही में नहीं बंधे, बल्कि बचपन के हरेक रंग को उन्होंने छूआ ! खट्टी-मीठी बातों के इलावा ज़हरीले कड़वे अनुभवों को भी कलमबंद किया गया ! जहाँ बचपन की उंगली पकड़ अतीत की गलियों की सैर हुई, वहीँ बहुत सी विसंगतियों की भी बात हुई ! यहाँ बचपन तुतला भी है, नटखट भी है और शरारती भी ! कहीं बचपन लेमनचूस का आनंद लेता है तो कहीं बाबा का हाथ पकड़ इतवारी हाट में मस्त है तो कहीं पेड़ से गिर कर हाथ-पाँव भी तुड़वा रहा है ! किसी रचनाकार ने बचपन को कल्पना में देखा तो किसी ने अगली नस्ल की आँखों में उसको ढूंढा! प्रस्तुत रचनाओं में तुतली ज़ुबान वाले बचपन "हर ग़म से बेगाना" ही नहीं दिखाया गया, बल्कि "हर ग़म से दो चार" भी बताया गया ! यहाँ बचपन ढाबे पर बर्तन भी घिसता है तो कहीं बचपन से महरूम सीधा अधेड़ अवस्था को भी प्राप्त हो रहा है ! जिस गुलदस्ते का मैंने ज़िक्र किया उसमे ग़ज़ल भी है, खुली नज़्म भी है, दोहे भी हैं, चौपाईयां भी, घनाक्षरी छंद भी,  कुण्डलिया भी, सवय्या भी है तो आल्हा एवं कह-मुकरी के दुर्लभ सुगन्धित पुष्प भी !


इस आयोजन के संचालक भाई धर्मेन्द्र शर्मा जी हाथ पर प्लास्टर बन्दे होने के बावजूद भी जिस तरह एक मिशन समझ कर पूरे तीन दिनों तक मैदान में डटे रहे, उसकी जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है ! अक्सर देखा यह गया है कि टिप्पणियाँ केवल वे ही लोग दिया करते हैं जिनकी अपनी कोई रचना आयोजन में शामिल होती है, लेकिन ओबीओ के इस महा-उत्सव में आदरणीय संजीव सलिल जी, श्री प्रीतम तिवारी जी, श्री बृजभूषण चौबे जी तथा श्री आशीष यादव जी समेत कई साथियों ने बिना कोई रचना पोस्ट किए भी जिस तरह रचनाधर्मियों का अपनी सारगर्भित टिप्पणियों से उत्साहवर्धन किया, वह वन्दनीय है ! इन ऑनलाइन आयोजनों में हर बार नये साथी हमारे साथ जुड़ते रहे हैं, इस बार श्रीमती मोहिनी चोरडिया जी एवं आदरणीय प्रमोद वाजपेई जी  जिस प्रकार पूरे आयोजन में अपनी रचनाओं व टिप्पणियों से सरगर्म रहीं, वह इस मंच के लिए हर्ष का विषय है !
 

इस आयोजन में अन्य बातों के इलावा जो बात सब से अहम रही वह थी प्रस्तुत रचनाओं की बेहतर गुणवत्ता ! अक्सर मुशायरे के इलावा बाकी आयोजनों को दर्जा-ए-दोयेम या सोयेम की तरह लिया जाता रहा है, तथा रचनाओं में वो परिपक्वता नहीं होती थी जो होनी चाहिए थी ! मगर इधर कुछ समय से इस दिशा में बहुत प्रगति हुई है तथा बहुत उच्च स्तरीय रचनायें पढ़ने को मिली हैं ! कोई भी रचना विषय से भटकी नहीं, ओर सभी ने विषय की आत्मा तक पहुँच कर लिखने का प्रयास किया ! श्री तिलक राज कपूर की शानदार ग़ज़ल से प्रारंभ हुआ यह महा-उत्सव श्री गणेश बागी जी की बहुत ही प्यारी सी छन्दमुक्त कविता से परवान को पहुँचा !


बड़े फख्र से कह सकता हूँ कि तीन दिन में १०७० प्रविष्टियों सहित "ओबीओ लाइव महा उत्सव" अंक १२ का सफल आयोजन ओबीओ के लिए एक और मील का पत्थर साबित हुआ है ! इस सफल आयोजन के लिए मैं सभी रचनाकारों एवं पाठकों का तह-ए-दिल से आभार व्यक्त करता हूँ और आशा करता हूँ कि भविष्य में भी आप सब का आशीर्वाद एवं सहयोग यूँ ही प्राप्त होता रहेगा ! इस आयोजन को बड़ी मुस्तैदी ओर कुशलता से संचालन के लिए भाई धर्मेन्द्र शर्मा जी को विशेष रूप से बधाई देता हूँ ! अपनी सकारात्मक ऊर्जा से पूरे आयोजन को रोशन करने वाले आदरणीय सौरभ पांडेय जी को भी मेरा सलाम ! अंत में ओबीओअधीश श्री गणेश बागी जी को एक और  सफल आयोजन के लिए मुबारकबाद देता हूँ !  सादर !


 योगराज प्रभाकर
(प्रधान सम्पादक)  

Views: 2847

Reply to This

Replies to This Discussion

सौरभ जी आपने बिलकुल  सही फ़रमाया है.

खास कर संचालक महोदय क़े प्रति.
उन्ही की प्रतिक्रिया से जोड़ कर कह रहा हूँ----"सही फ़रमाया खुमार उतरा नहीं जहन से
अभी तक लौटा नहीं हूँ अपने बचपन से.­­"

आदरणीय योगराज जी,
जिस कुशलता से संचालन हुआ उतने ही बेहतरीन ढंग से आपने समापन किया है.

ढेरों शुभकामनाएँ,

सादर,

आराधना

इस सफल आयोजन का श्रेय आप सहित सभी साथियों को जाता है ! हार्दिक आभार !

सभी रचनाकारों को पुनः बधाई व इस प्रोग्राम के अंत में अपनी रचनाओं पर लिखी गई टिप्पणियों पर मैं जिन लोगों का धन्यबाद नहीं कर पाई थी उन सभी की मैं बहुत शुक्रगुजार हूँ. सबको तहे दिल से मेरा शुक्रिया.   

आपने हाथ में तकलीफ होने के बावजूद भी आजोयन में हिस्सा लिया और साथियों का उत्साहवर्धन भी किया इसके लिए मैं तह-ए-दिल से आपका शुक्रिया अदा करता हूँ शन्नो जी !

आदरणीय योगराज प्रभाकर जी, बहुत ही बढ़िया तरीके से ओबो महाउत्सव का संचालन किया, इस बार मैं व्यस्तता के कारण कम्पुटर महाशय से दूरी बनाने पर मजबूर हुआ, १०७० टिप्पणीयाँ,  इस बात की गवाही दे रही हैं सभी ने बढ़ चढ़ कर कर हिस्सा लिया, ऐसे वातावरण में बहुत कुछ सिखने को मिलता है, सफल आयोजन के लिए सबको बधाई - सुरिंदर रत्ती - मुंबई  

सादर आभार सुरिंदर भा जी !

Yograj ji

nisandeh is aayojan ki sari rachanaye lajwab rahi aur sath hi un par ki gai prtikriyao par bhi sudhi jano ne gazab ka utsah dikhaya. adarniya sanchalak ji ne ek hath se hi drive karte huye aayojan ke rath ko bakhoobi manzil tak pahucha kar hi dam liya.Dharmendra ji ke jasbe ko salam.mere chhote se do prayaso ko bhi aapne samman bakhsha atah dhanyawad.Bagi ji sahit sabhi parde ke peechhe ki shaktiyo ko sadhuwad Yograj ji,aapka shukriya.

avinash bagde.

शुक्रिया अविनाश बागडे साहिब, आपकी आमद ने भी आयोजन में चार चाँद लगा दिए थे ! आप जैसे हीरे से इस मंच का परिचय करने के लिए भाई धर्मेन्द्र शर्मा जी का भी कोटिश: आभार !

jarre ko aapne pahucha diya kaha?....SHUKRIYA Yograj ji.

  कम शब्दों में लिखी आपकी रपट  अच्छी लगी 

sir aap ke dwara diya gaya byakhyan bahut sundar hain

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
15 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service