हिंदी उदभव
भारत के संविधान के अनुच्छेद 343 (i) के अनुसार देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी भारत संघ की राजभाषा है । यह लिपि संस्कृत के अखिल भारतीय स्वरूप के लिए तथा पाली, प्राकृत और अपभ्रंश के विविध रूपों के लिए प्रयुक्त होती रही है । यही नहीं, भारत के संविधान की आठवीं सूची में विनिर्दिष्ट कई आधुनिक भारतीय भाषाएँ, यथा : मराठी, कोंकणी, नेपाली, बोडो, संथाली, मणिपुरी, डोगरी आदि भी इसी लिपि में लिखी जाती हैं । इसी लिपि को आधार बना कर समस्त भारतीय भाषाओं के लिए ‘अतिरिक्त लिपि' के रूप में ‘परिवर्धित देवनागरी' का विकास किया गया है ।
हिंदी भाषा के लेखन के लिए अब ‘मानक देवनागरी' लिपि का प्रयोग होने लगा है ।
हिंदी के लिए प्रयुक्त देवनागरी वर्णमाला में 11 स्वर और 35 व्यंजन हैं ।
स्वर........... अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
कवर्ग
क
ख
ग
घ
ड़
चवर्ग च
छ
ज
झ
ञ
टवर्ग ट
ठ
ड
ढ
ण
तवर्ग त
थ
द
ध
न
पवर्ग प
फ
ब
भ
म
य र ल
व
श
ष स ह
ड़ ढ़
विषय ................
...........हिंदी के वर्णमाला का विकास कहाँ हुआ और किसने खोजा ,इस तत्थ्य पर अपना मत दें , जिन वर्णमाला से मिलकर हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी के साथ साथ अन्य भाषाओं के शब्द बने है .......सभी ओ बी ओ सदस्यों से सादर अनुरोध है कि इस विषय पर जरुर अपना मत प्रगट करें .................
अतेन्द्र कुमार सिंह 'रवि'
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