For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गंगा पुर
महेश लाठी लेके दाऊरत जात रहलन ता उनके मोहन टोकले कहा जात बार हो महेश उ
दाऊरते दाऊरते कहले की मुखिया जी के खेत गंगावा के लाईका जोते बोये नइखन
सन देत मोहन कहलन ओकनी के इ मजाल चला हमू चालत बनी और उ अगो फरसा उठा के चल देहले जे सुनालास उहे कुछ न कुछ लेके दौर गइल जब उहा पहुचल लोग ता देखत बा
लोग की मुखिया जी के बरका बेटा ड्राईवर के हटा के खुद टेक्टर पर बैठे जात बारान टेल गंगा के बेटा लाठी लेके सामने खरा हो जात बा तब मुखिया जी कहलन तहरा घर के लगे हमर खेत बा आकार मतलब इ न नु की तू हमारा खेत में गाय भैस बांध बा ता गंगा के बेटा बोलालाख मुखिया जी राऊआ तिन साल से इ खेत जोतात बोआत नईखी फिर अब हमर गोरु कहा भंधैहन सन ता मुखिया जी कहानी ता हम का करी हम आपण खेत जोतेम ता उ कहलस मुखिया जी राऊरा मालूमे बा हमर भाई थाना में दफ दार बा और हम केश का देम ता उल्टा में राऊआ परेसान हो जायेम हमर बात मानी २०००० में इ खेत हम के दे दी मुखिया जी के बोले के पाहिले दुखहरण राम बोलले तू पगला गइल बार का हो यादव जी इ बिसे हजार के खेत बा , ता उ कहलस आज तक जुत्ते बन के रहला लोग आज हमनी के दिन बा फायदा उठावा तब मुखिया जी के बेटा बोलले अब तू हमर खेत छोर के हट जा न ता बार के इआही पाट देम बाबु जी राऊआ जाई ता लत के देवता बात से न माने गाव से खेदाइल अब बधार से भी इ जाई , येताना सुनला के बाद उ चिल्लाइल ओकरा घर के औरत बच्चा लाठी डंडा ले के आ गैलन सन अब येनियो से करीब बीस पचीस आदमी आ गइल रहे लोग महेश आव देखले न तव ओकरा ऊपर लाठी चला देले और पूरा गाँव टूट परल देखते देखते ओकर पूरा परिवार लहू लुहान मुखिया जी कोशिश का के ओकनी के बचावालन और ओह दिन कम बंद हो गइल ओकरा घर के लोग थाना चल गइल थाना में ओकर भाई ढाफदार बा दरोगा बाबु ओकर केश बना देले और जब गाँव में आइले ता उनके पता चलल की माजरा का बा ता उ ओ
केश के आगे न बढ़ावे के चहले बाकिर एगो दुगो छुट भैया नेता के आपन जाती के बेइजती लागल उनके इ न लउकल की की उनकर जाती के एगो आदमी गलत कम करत रहल हा उ
ऊपर पय्रबी कर के केस आगे बढवा देहलस होली के दू दिन पाहिले गाव से बीस पचीश आदमी के पाकर के पुलिस ले गइल होली के एक दिन पाहिले जमानत हो गइल सब
कोई गावत बजावत गावे आइल उ खेत बोआइल बाकिर गंगा के लाईका पिटैला के बाद
गंगापुर के ओ खेत पर फिर न दिखाई देहलस , हमारा इ समझ में अभी आइल हा की
आपस में लड़े वाला बाबा जी लोग ओह दिन कईसे एक जुट हो गइल लोग भाई इह जाती
बाद काम आइल रहे जैसे ओकर केश के आगे बढ़ावे में आइल रहे , रुआ लोग से
निहोरा बा आपन राज्य के आगे बढ़ावे के बा ता जाती बाद के छोर के समाज
बाद आपन लोग ,

Views: 734

Reply to This

Replies to This Discussion

हमारा इ समझ में अभी आइल हा की
आपस में लड़े वाला बाबा जी लोग ओह दिन कईसे एक जुट हो गइल लोग भाई इह जाती
बाद काम आइल रहे जैसे ओकर केश के आगे बढ़ावे में आइल रहे , रुआ लोग से
निहोरा बा आपन राज्य के आगे बढ़ावे के बा ता जाती बाद के छोर के समाज
Guru jee rauwa bahut hi sahi kahani likhaley baani, samaaj mey bahut log ba jey aek dosara key lada key tamasa dekhey la par agar vivek sey na kaam lihal jaai ta wohey kahani charitaarth hoi ki "Ghar tutey Gawar lutey"
Bahut shikshaprad kahani ba guru jee dhanyabad trauwa key.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service