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आईये पढ़े और लिखे ख्यातिप्राप्त रचनाकारो की कुछ रचनाये...

बहुत दिनों से मेरे मन मे विचार आ रहा था कि कैसे "ओपन बुक्स ऑनलाइन " परिवार के सदस्यों को साहित्य जगत के मशहूर रचनाकारों की रचनाओ को पढने और निकट से महसूस करने का मौका मिले ? इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैने इस फोरम की शुरुआत किया है, इसमे सदस्य गण मशहूर साहित्यकारों की लिखी हुई रचनाओ को उनके नाम का उल्लेख करते हुए लिख सकते है एवं पढ़ सकते हैं, इस फोरम को पूरी तरह से सदस्यों का रुझान साहित्य के तरफ करने हेतु किया गया है न कि किसी व्यावसायिक उद्देश्य से,
तो आइये लिखे एवं पढ़े कुछ अच्छे साहित्यकारों की बेहतरीन रचनाये .....

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संग्रह: उजाले अपनी यादों के
रचनाकार: बशीर बद्र

सियाहियों के बने हर्फ़-हर्फ़ धोते हैं
ये लोग रात में काग़ज़ कहाँ भिगोते हैं

किसी की राह में दहलीज़ पर दिया न रखो
किवाड़ सूखी हुई लकड़ियों के होते हैं

चराग़ पानी में मौजों से पूछते होंगे
वो कौन लोग हैं जो कश्तियाँ डुबोते हैं

क़दीम क़स्बों में क्या सुकून होता है
थके थकाये हमारे बुज़ुर्ग सोते हैं

चमकती है कहीं सदियों में आँसुओं की ज़मीं
ग़ज़ल के शेर कहाँ रोज़-रोज़ होते हैं

चमकती है कहीं सदियों में आँसुओं की ज़मीं
ग़ज़ल के शेर कहाँ रोज़-रोज़ होते हैं  ||     वाह वाह  !!

रचना : बुनी हुई रस्सी |   रचनाकार: भवानीप्रसाद मिश्र

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बुनी हुई रस्सी को घुमायें उल्टा
तो वह खुल जाती हैं
और अलग अलग देखे जा सकते हैं
उसके सारे रेशे
मगर कविता को कोई
खोले ऐसा उल्टा
तो साफ नहीं होंगे हमारे अनुभव
इस तरह
क्योंकि अनुभव तो हमें
जितने इसके माध्यम से हुए हैं
उससे ज्यादा हुए हैं दूसरे माध्यमों से
व्यक्त वे जरूर हुए हैं यहाँ
कविता को
बिखरा कर देखने से
सिवा रेशों के क्या दिखता है
लिखने वाला तो
हर बिखरे अनुभव के रेशे को
समेट कर लिखता है !

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