For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

     भोजपुरी माई के समर्पित एगो गीत - भोजपुरी माई के समर्पित एगो गीत -
रहिया मोती बिछाइल बटोर ना .
ह  अमोल इ  थाती अगोर ना

चलली  धीरे धीरे एक -एक डगरिया
लोगवा से गउवा आइ गइली नगरिया
समुन्दर हम होई गइली आइ के रजधानिया
हिलोर ना
भरल रतन हियरवा हिलोर ना
 रहिया .......

घरवा में रहि के कुछु नाही कईली
देस विदेस जाई के नउवा कमईलीं
बिरह के घाव अब ई कईसों पुरवली
दिदोर ना घाऊ वा बाटे दिदोर ना
 रहिया .........

जेइ सपनवा के ओढ़ी हम सुतलीं
एकरा अलावे कुछु बूझत न रहलीं
सपनवा संजवत जिनगिया बितवली
झिंझोर  ना
अन्हिया से इ सपनवा झिंझोर ना
रहिया ............

मनवा के ताना बाना बीनत रहलीं
कतना त ताना मेहना सहत रहलीं
हार बाकि कबहूँ न रजको हं मनली
बिटोर ना
तनकी मिलल अंजोरिया बिटोर ना
 रहिया ..............
     रहिया मोती बिछाइल बटोर ना .

Views: 827

Replies to This Discussion

क्या कहने बहुत सुन्दर गीत ,बधाई

नीमन लागेला 

बधाई. सादर 

मधुर गीत हेतु आभार.

आपको अर्पित एक दोहा:
ना तुलसी ना मंजरी, अँगना खैंचि लकीर.
बँटवारा करि हुई गयल, दोउन भाई हकीर..

बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ..................

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद  _ चित्र दिखाता मस्त, एक टोली बच्चों की हैं थोड़े शैतान, मगर दिल के सच्चों की ठान…"
13 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ******** पके हुए  ढब  आम,  तोड़ने  बच्चे आये। गर्मी का उपचार, तभी यह…"
27 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, आदरणीय, वाह!  प्रवहमान अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई शुभ-शुभ "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय समर  भाई , ग़ज़ल पर  उपस्थिति  और विस्तृत सलाह के लिए आपका आभार तक़ाबूल-ए-…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  बड़े  भाई , आपकी रचना चित्र को अच्छे से  चित्रित  कर रही है , अंतिम बंद…"
3 hours ago
Samar kabeer commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब, काफ़ी समय बाद मंच पर आपकी ग़ज़ल पढ़कर अच्छा लगा । ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
11 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
yesterday
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ 'मन के कोने में…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ 'मन के कोने में…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service