For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जलहरण घनाक्षरी : आम आदमी (भोजपुरी )

चकरी में जोरू संग, दराला आम आदमी, 
रोज-रोज चउक प, बिकेला आम आदमी |

खाली बस चुनाव में, आवेला उ धियान में,
जनता जनारदन, कहाला आम आदमी |

करिया कमाई करे, उजर पहिर देख, 
सुलुग-सुलुग अब, जरेला आम आदमी |

होला सियासत खाली, धरम के नाम पर,
मसजिद में राम के, देखेला आम आदमी ||

  • गणेश जी "बागी"
हमार पिछुलका पोस्ट => निर्गुण भोजपुरी गीत : पिया अईले बोलावे

Views: 2202

Replies to This Discussion

bahut badhiya

धन्यवाद अनामिका घटक जी |

बहुत खूब लिखा है सर जी मन प्रसन्न हो गया पढ़ कर

सर जी ये घनाक्षरी तो है किन्तु जलहरण है,
प्रति चरण ३२ अक्षर, १६-१६ पर दो विश्राम, इक्त्तीस्वां (३१ वाँ) लघु, बत्तीसवां (३२ वाँ ) दीर्घ

रूप घनाक्षरी कुछ इस तरह से होना चाहिए था सर जी ये आदतन जल्दबाजी में लिख रहा हूँ इसीलिए त्रुटी हो सकती है
प्रति चरण ३२ अक्षर, १६-१६ पर दो विश्राम, इक्त्तीस्वां (३१ वाँ) दीर्घ, बत्तीसवां (३२ वाँ ) लघु


शारदा कृपा कर दो मुझको नादान जान
भरो खाली झोली माता ज्ञान की तुम्ही हो खान

मैं तेरा ध्यान कर के छंद की रचना करूँ
देश देश गायें सब भारत का बढे मान

मेरे जो छंद पढ़ें रस में तब भीग जाएँ
झूम झूम गायें और बना रहे मेरा मान

सुबह शाम तेरा ही सुमिरन आनंद देता
सुमिरन से तेरे ही बढ़ता है मेरा ज्ञान
 

संदीप पटेल

प्रिय संदीप जी, सहमत हूँ आपसे, यहाँ चूक हुई है , यह "जलहरण घनाक्षरी" ही है | मैं अभी शीर्षक में बदलाव करता हूँ | बताने के लिए आपका आधार, साथ में सराहना हेतु धन्यवाद तथा अपनी घनाक्षरी पढवाने हेतु साधुवाद , अच्छी रचना | इसी तरह सहयोग बना रहे |

परम आदरणीय गणेश बागी सर जी सादर नमन
आपका बहुत बहुत आभारी हूँ सर जी
ये तो आपका बड़प्पन है जो हम अनुजों पर अपना स्नेह बनाए रखते हैं आप
मैंने जो छंद लिखा था उसमे अंतिम घन छतविछत हो गया है जल्दबाजी के चलते

शारदा कृपा कर दो मुझको नादान जान
भरो खाली झोली माता ज्ञान का दो वरदान

मैं तेरा ध्यान कर के छंद की रचना करूँ
देश देश गायें सब भारत की बढे शान

छंद मेरे पढ़ें जो भी रस में वो भीग जाएँ
झूम झूम गायें ऐसे बना रहे मेरा मान

सुमिरन तो तेरा ही होता है निसदिन माँ
दीप खड़ा हाथ जोड़ उसको अब दो ज्ञान


दीप

मान्यवर बागी जी सारा जग  जानेला 

तकनीक ज्ञान का तोहरा ज्ञान बड़ेला
छोटी मछरी संग बड़ी मछरी न  रहेला
गजब देखला  महिमा मंच की 
गुरु शिष्य संग संग पढ़ेला 
मेरी भाषा को अन्यथा न लीजियेगा, 
जलहरण घनाक्षरी बढ़िया लिखेला 
बधाई, आदरणीय बागी जी, सादर 
  

ये हमारे सौभाग्य हैं आदरणीय प्रदीप सर जी कि हम ऐसे मंच पर हैं जहां हर कोई अपने विचार सहजता के साथ सामने रख देता है

बहुत बहुत आभार आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, rauaa रचना पसंद कईनी, लिखल सुफल भईल |

भाषा कवनो होखो, ’आम आदमी’ के बिम्ब पर रचनाकारन के अक्सरहा बहुत कुछ कहे के मिल जाला. आम आदमी खलसा राजनीतिये ना बलुक हर क्षेत्र में अँगुरी पर रहेला. बाकिर, एह घनाक्षरी में, गणेशभाई, रउआ आम आदमी के बिम्ब के मार्फ़त बहुत कुछ कहे के कोशिश कइले बानीं.  छंद में इंगित भइल आम आदमी के प्रति ’आह’ के बखाने ना होके ओह से जुड़ल सामाजिक सारोकारो के निकहा वर्णन भइल बा.

घनाक्षरी के कहनामो मात्र वर्ण गणना के हिसाब से खलसा नइखे सधल, बाकिर, पद्य मात्राओ के हिसाब से सधल बा. जेकर होखल छंद आ रचना के सस्वर पाठ खातिर अति आवश्यक होला. एह एकवटत प्रयास पर हमार हार्दिक बधाई आ शुभकामना स्वीकार करीं.

सौरभ भईया, जदी आम आदमी के बात आम भाषा में होखे त उ आम आदमी खातिर चिंतन आ मनन करे मे सुलभ हो जाला, इहे सोच रहेला हमार, रउआ के रचना पसंद पड़ल हमार लिखल सुफल भईल | 

बहुत बढ़िया , आदरणीय सर 

 

बहुत बहुत आभार राजेश गोगिया जी |

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service