For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Deepak Sharma Kuluvi's Comments

Comment Wall (30 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 6:19pm on September 4, 2010, asha pandey ojha said…
namste Deepak ji aapka swagat w aapka aabhar .. shubh sandhya
At 3:31pm on September 3, 2010, Julie said…


हमे अपनी दोस्ती से नवाजने का बहुत बहुत शुक्रिया 'दीपक जी'...!! -जूली :-)
At 4:13pm on August 31, 2010, Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह said…
.
दीपक जी ... !!
मेरे लिए भी यह उतनी ही खुशी की बात है ...
जोगेन्द्र ... !!
.
At 5:19pm on August 27, 2010, Rash Bihari Ravi said…
sir ji us kavita ki aapke liye hindi anubad
बाबूजी रहती ता का कहती , ( बाबूजी (पापा ) रहते तो क्या कहते )
इ सवाल हमारा मन में बार बार आवत बा , ( ये सवाल मेरे मन में बार बार आती हैं )
बात ओ बेर के हा जब हम पढ़त रहनी , ( बात उस समय की हैं जब मैं पढ़ रहा था )
स्कुल छोर के खुबे सिनेमा देखत रहनी ,( स्कुल न जाकर सिनेमा बहुत देखता था )
केहू कहलस तू केकरा से कम बार ,( कोई बोला तुम किस्से कम हो )
कोसिस करब ता एक्टर बन जइबा,( कोशिश करोगे तो एक्टर बन जाओगे )
अभी इहा केहू नइखे पूछत ,( अभी यहा कोई नहीं पूछ रहा हैं )
बाद में खूब पूछाइबा , (आगे बहुत लोग चाहेंगे )
हमहू आव देखनी न ताव,( मैं भी बिना सोचे )
बोर्ड के परीक्षा डेल्ही रहनी ,( बोर्ड के परीक्षा दिए थे )
ध लेनी मुंबई के राह, ( मुंबई चल दिए )
उहा भीर में भुला गईनी, (वह भीर में गुम हो गए)
जे गाँव में हीरो लागत रहे ,( जो गाँव का हीरो था )
खुद के एक दम बेचारा पाईनी ,( खुद को बेचारा पाया )
अब हमर हालत हो गइल रहे ,(अब मेरी हालत हो गई थी )
साप छुछुंदर वाला , (साप छुछुंदर वाला )
अब ना गाँव जा सकेनी ,( अब नहीं जा सकता था )
ना एक्टर बननी पढाई बिच में लटक गइल ,(एक्टर नहीं बन पाया पढाई बिच में रुक गई )
बाबूजी कहे लगनी हमर बेटा बिगर गइल , ( बाबु जी कहने लगे मेरा बेटा बिगर गया )
केहू उहा के सुझाव देहलस बिआह करा द , ( किसी ने उनसे कहा सदी करा दो )
और हम सांसारिक बंधन में बाधा गईनी , और मैं सांसारिक बंधन में बंध गया )
हमारा अन्दर के एक्टर कसमसाये लागल , ( मेरे अंदर का एक्टर कसमसाने लगा )
एगो डायरेक्टर हम पर नजर परल , (एक डायरेक्टर मुझे देखा )
उनकर फिलिम में एगो करेक्टर रहल ,(उनके फिल्म में एक करेक्टर था )
हम आइल रहनी हीरो या भिलेन बने ,( मैं आया था हीरो या भइलें बनने)
उ हमारा के हीरो के बाप बना देले , (ओ मुझे हीरो का बाप बना दिया )
हमारा सपना के साकार बना देले ( मेरे सपना को साकार कर दिया )
अब इहे सोचत बानी बाबु जी रहती ता का कहती ,( अब मैं यही सोचता हु बाबूजी रहते तो क्या कहते )
At 10:02am on August 27, 2010, Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह said…
.

@► दीपक जी , मित्र के रूप में आपका स्वागत है ...

.
At 1:34pm on August 18, 2010, Admin said…
At 11:39pm on August 17, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 3:24pm on August 16, 2010, Admin said…
आदरणीय दीपक शर्मा जी,
प्रणाम,
निवेदन है कि पंजाबी रचनाओं को "पंजाबी साहित्य" ग्रुप मे पोस्ट करे, सुविधा हेतु लिंक नीचे दे रहा हूँ, धन्यवाद,
http://www.openbooksonline.com/group/Punjabi_sahitya
At 4:32pm on August 13, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

At 4:15pm on August 13, 2010, Admin said…

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service