For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

डाक्टर 

 

मरीजों की भीड़ को-
डाक्टर झट-पट ऐसे निपटाता रहा,
बगैर गर्दन उठाये-
मरीज का हांल-चाल कुछ सुनता रहा
मरीज दर्द से कराहता रहा-
वह पर्ची पर कलम चलाता रहा
झट पर्ची हाथ में थमा-
अगले मरीज का नाम पुकारता रहा
मुझे यूँ लगा जैसे-
बिना सुने फरियाद ही फैसला लिखता रहा
कराहने की आवाज नहीं-
वह तो मोबाईल पर बतियाता रहा
डाक्टर भगवान होता है-
हम यही सुनते औ विश्वास करते रहे
बिना सुने फरियाद वो-
इलाज करता रहा, हम यकीं करते रहे
जज औ डाक्टर पर सब हमें-
यकीं करने की मजबूरी बताते रहे,
होवें वहीँ जो राम रची राखा-
बोल मन में तस्सली दिलाते रहे |

 

-- लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर -

Views: 358

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 21, 2012 at 9:19pm

सौरभजी, हार्दिक धन्यवाद एवं आभार
आपके सुझाव गौर करने लायक है,
रचना कंप्यूटर पर हाथो हाथ लिखने
के कारण अनुभव के अभाव मे काव्यात्मकता
का आप जैसे कवियों कि आँखो मे ख़टकेगी,
इसके लिए मुझे प्रयास करना होगा | सुझाव के
लिए धन्यवाद |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 21, 2012 at 9:03pm

जिनके हाथों में व्यक्ति की व्याधियाँ मिटाने का जिम्मा है वह इस तरह भी लापरवाह हो सकता है.

सीधी-सादी भाषा में तथ्यपरक रचना. बहुत अच्छे !

वैसे रचनाधर्मिता रचना में थोड़ा काव्य-प्रवाह मांगती है.

हार्दिक शु्भेच्छाएँ.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 21, 2012 at 8:35pm

Thanks to Avinashji and Kushwahaji for the coments

Comment by AVINASH S BAGDE on March 21, 2012 at 8:00pm

bahut khoob लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला ji

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 19, 2012 at 12:17pm

sundar prastuti. badhai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
5 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service