For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यहां होता है तालाब का विवाह !

- 80 बरस बाद दोहराई गई परंपरा
- केरा गांव के लोगों का अनूठा कार्य
- तालाबों के अस्तित्व को बचाने की मुहिम
- जल संरक्षण की दिशा में ग्रामीणों का अहम योगदान
- ‘जल ही जीवन है’, ‘जल है तो कल है’ का संदेश
              
भारतीय संस्कृति में संस्कार का अपना एक अलग ही स्थान है। सोलह संस्कारों में से एक होता है, विवाह संस्कार। देश-दुनिया में चाहे कोई भी वर्ग या समाज हो, हर किसी के अपने विवाह के तरीके होते हैं। मानव जीवन में वंश वृद्धि के लिए भी विवाह का महत्व सदियों से कायम है। इसके लिए समाज में एक दस्तूर भी तय किया गया है। ऐसे में आपको यह बताया जाए कि तालाब का भी विवाह होता है तो निश्चित ही आप चौंकेंगे ! मगर ऐसी विवाह की परंपरा को दोहराई गई है, छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के केरा गांव में, जहां 80 बरसों बाद एक बार फिर तालाब का विवाह कराया गया। सभी रीति-रिवाजों के साथ ग्रामीणों ने दो दिनों तक यहां राजापारा नाम के तालाब के विवाह संस्कार को पूर्ण कराया और इस तरह तालाबों के संरक्षण के साथ, उसके अस्तित्व को बचाने की गांव वालों की मुहिम जरूर रंग लाएगी।

 

दरअसल, महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत करीब 5 लाख रूपये खर्च कर केरा गांव के ‘राजापारा तालाब’ का गहरीकरण कराया गया और जल संरक्षण की दिशा में ग्रामीणों ने अहम योगदान देते हुए, एक पुरानी परंपरा के माध्यम से घटते जल स्तर को बचाने के लिए अपनी पूरी सहभागिता निभाई। इस अनूठे विवाह के बारे में जानकर कोई भी एकबारगी विश्वास नहीं कर रहा है और यही कारण है कि केरा में संपन्न हुई इस अनूठी परंपरा, समाज के लिए एक मिसाल भी साबित हो रही हैं। ‘जल ही जीवन है’, ‘जल है तो कल है’, इन सूत्र वाक्यों को जीवन में उतारते हुए हमें ‘जल’ को बचाने के लिए हर स्तर पर कोशिश करनी चाहिए। इस लिहाज से निश्चित ही केरा गांव के ग्रामीणों ने अनुकरणीय कार्य किया है।

 

ग्राम पंचायत केरा ( नवागढ़) के सरपंच लोकेश शुक्ला ने बताया कि आठ दशक पहले गांव के ‘बर तालाब’ में इस तरह विवाह का आयोजन किया गया था। इसके बाद यह परंपरा अभी निभाई गई है। उनका कहना है कि जब भी गांव में शुभ कार्य होता है तो ग्रामीणों द्वारा तालाब विवाह की परंपरा का निर्वहन किया जाता है। यह तय नहीं है कि कब विवाह संस्कार का आयोजन होगा और इसके लिए एक ही तालाब तय नहीं रहता। पूर्वजों द्वारा ऐसी परिपाटी की शुरूआत की गई थी, उस परंपरा को अरसे बाद निभाने का मौका नई पीढ़ी को अब मिला है।


सरंपच श्री शुक्ला ने बताया कि जब उन्हें तालाब के विवाह कराने संबंधी जानकारी मिली तो वे अभिभूत हो गए और इसके लिए ग्रामीणों को हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया। 11 जून को कलश यात्रा के साथ विवाह संस्कार की प्रक्रिया शुरू हुई। इस दौरान कलश यात्रा में बड़ी संख्या में कन्याएं, युवती व महिलाएं समेत ग्रामीण शामिल हुए। कलश कलश गांव की गलियों से घूमती हुई चंडी मां मंदिर होते हुए राजापारा तालाब पहुंची। यहां दो दिनों तक विवाह कार्यक्रम पूरे रीति-रिवाजों के साथ संपन्न कराया गया।


उन्होंने बताया कि गांव में तालाब विवाह की पुरानी परिपाटी तो है ही, साथ ही आज के दौर में घटते जल स्तर के लिहाज से भी यह इसलिए काफी महत्वपूर्ण भी है कि इस बार ‘राजापारा तालाब’ का मनरेगा के तहत गहरीकरण कराया गया है। इससे जल संवर्धन की दिशा में भी बेहतर कार्य हो रहा है। दूसरी ओर ग्रामीणों में यह भी मान्यता है कि तालाब के विवाह से गांव में जलजनित बीमारी नहीं फैलती और किसी तरह दैवीय प्रकोप का संकट नहीं होता। लोगों में इसलिए भी ‘तालाब विवाह’ के प्रति लगाव है कि 100 कन्याओं के विवाह की अपेक्षा तालाब विवाह में सहभागिता से उतने पुण्य की प्राप्ति होती है। इन्हीं सब कारण से लोगों का रूझान बढ़ा और 80 बरस बाद एक बार फिर गांव में तालाब विवाह की परंपरा दुहराई जा सकी।

 


वर बने ‘वरूणदेव’, वधु बनी ‘वरूणीदेवी’
केरा गांव में संपन्न हुए तालाब विवाह में वर के रूप में भगवान वरूणदेव को विराजित किया गया, वहीं वधु के रूप में वरूणीदेवी को पूजा गया। ग्रामीणों ने पूरे उत्साह से इनका विवाह रचाया और दो दिन तक चले विवाह कार्यक्रम में हर वह रस्म पूरी की गई, जो किसी व्यक्ति की शादी में निभाई जाती है। तालाब विवाह में लोगों का उत्साह देखते बना और उनका हुजूम उमड़ पड़ा। जिन्होंने इस अनूठे विवाह के बारे में जाना, वह सहसा ही खींचे चला आया।

 

विवाह की साक्षी बनीं सांसद
केरा की ‘तालाब विवाह’ परंपरा की साक्षी जांजगीर-चांपा की सांसद श्रीमती कमला पाटले भी बनीं। वे यहां ग्रामीणों के उत्साह बढ़ाने विशेष तौर पर उपस्थित रहीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि ग्रामीणों का प्रयास काबिले तारीफ है, क्योंकि एक तरफ दिनों-दिन जल स्तर घट रहा है तथा पुराने तालाबों का अस्तित्व मिट रहा है। ऐसे में तालाब संरक्षण कार्य के दृष्टिकोण से लुप्त होती परंपरा भी समाज को संदेश देती है। इस शुभ आयोजन में पहुंचना ही अपने आप में बड़ी बात है, क्योंकि जल के बिना कोई भी जीव-जंतु जीवित नहीं रह सकता।

राजकुमार साहू
लेखक जांजगीर, छत्तीसगढ़ में इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार हैं। पिछले दस बरसों से पत्रकारिता क्षेत्र से जुड़े हुए हैं तथा स्वतंत्र लेखक, व्यंग्यकार तथा ब्लॉगर हैं।

जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा . - 098934-94714 
 
                   

Views: 515

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 16, 2011 at 10:47am
केरा गावं वासियों के जज्बे को सलाम, इस आलेख हेतु आपको धन्यवाद |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
15 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
18 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
18 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
18 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
18 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
18 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service