कुछ दिनों से गर्ल्स स्कूल के सामने लड़को की भीड़ और उनकी बद्तमीज़ियां बढ़ती ही जा रही थी ,छात्राओं का गेट से निकलना भी मुश्किल होता जा रहा था। आज यहाँ बहुत तेज तेज आवाज़े गूंज रही है क्योकि स्कूल टीचर्स की कंप्लेंट पर आज पुलिस ने सादा लिबास में मजनुओं की टोली को पकड़ लिया था और पुलिस स्टेशन ले जा रहे थे।
उनके खिलाफ गवाही देने के लिए नीलम और उसके साथ की ही कुछ अन्य टीचर्स भी पुलिस स्टेशन पहुंच गई कुछ इंतजार के बाद ही उन लड़को के पेरेंट्स भी पुलिस स्टेशन पहुँच गए और अपने लड़को को डांटते हुए पुलिस से उन्हें छोड़ देने की रिक्वेस्ट करते रहे। उन्ही में राजीव को देख कर नीलम चौंक गई उसने देखा की राजीव अपने बेटे वंश को छुड़ाने के लिए कभी पुलिस तो कभी टीचर्स के आगे हाथ जोड़ रहा था,और उसके फ्यूचर का वास्ता देकर माफ़ी की गुहार लगा रहा था
इस सब तमाशे में वो नीलम के सामने पहुंच गया ,उसे देखते ही राजीव भी ठिठक गया। इससे पहले की वो कुछ कहता नीलम सबको सुनाते हुए राजीव से कहने लगी " जिस बेटे की चाह में तुम इंसानियत भी भूल गए थे आज उसी बेटे ने क्या नाम रोशन किया है तुम्हारा ? "
"शायद आज तुम सच्चाई का आइना ठीक से देख पाओगे ! मेरी बड़ी बेटी स्नेहा इस देश की सम्मानित आईएएस ऑफिसर बन चुकी है और मेरी छोटी बेटी दिशा , जिसके बारे में जाँच में पता लगने के बाद तुम कोख में ही मार देना चाहते थे आज विदेश के नामचीन मेडिकल कॉलेज से वहीँ की स्कॉलरशिप से पढ़ाई करके डॉक्टर बन कर देश वापिस आ रही है।"
"आज तुम जैसे लोगो को ये मानना ही होगा कि " बेटियां बोझ नहीं बल्कि गुरुर होती है !"
"बरसो पहले तुमसे अलग होने का मेरा फैसला बिलकुल सही था। तुम्हारी दूसरी शादी से जन्मे तुम्हारे बेटे की नालायकी आज सबके सामने है , जो पुरखों की दौलत और इज़्ज़त अय्याशी में उड़ा रहा है। "
"क्या अब भी कहोगे की बेटा ही वंश का नाम रोशन करता है ! "
जवाब का इंतज़ार किये बिना नीलम गर्विता सी सधे हुए कदमों से बाहर निकल गई और छोड़ गई अपने पीछे सन्नाटों की गूंज।
"मौलिक व अप्रकाशित"
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