"बहुत खुश दिख रहा है ,क्या हुआ रे ?"अपने दस साल के बेटे को नाचते हुए झुग्गी में घुसते देख उसने पूछा I
"अरे ,मै आज हीरो बन गया I एक बारी में चढ़ के दही हांडी फोड़ दी ,झक्कास ...सबने कंधे पर उठा लिया था Iखूब मिठाई परसाद मिला है देखI"
"अरे वाह " उसके सर के ऊपर से फिराकर माँ नेअपने माथे के दोनों ओर उंगलियाँ चटका दीं I
"अब अगले साल भी ऐसे ही फोड़ दूंगा ,उसके अगले साल भी और .." ख़ुशी उसके सारे शरीर से फूट रही थी I माँ को पकड़ कर वो गोल गोल घूमने लगा I
"अरे बाबा हर साल फोड़ना, पर अभी तंग मत कर ,अज़ान का वक्त हो गया है" I
माँ ने दुपट्टा सर में रख लिया I दोनों हाथ दुआ में उठ गये और होंठ बुद्बुदाने लगे "हर साल और साल दर साल , आये ये जश्न, अमन चैन के साथ और मेरे बेटे के लिए खुशियाँ लाये ढेर सारी ऐसे ही " I
एक हवा का झोंका आया और हौले से उसे छूकर निकल गया ,मानो कह रहा हो 'आमीन'I
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
वाह । बहुत बढ़ीया । यही ताे सदीयों से हमारी संस्कृति रही है जिसकी जड़ें अब भी बहुत मजबूत एवं गहरी है । अत्यंत साकारात्मक एवं दिल को छूने वाली इस कथा के लिए आपको असीम शुभकामनाएं आदरणीय प्रतिभा जी ।
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