For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - बहुत की कोशिशें मैने गमों के पार जाने की ( गिरिराज भंडारी )

1222       1222      1222       1222

*******************************************

बहुत की कोशिशें मैने गमों के पार जाने  की

मुझे फिर घेर लेतीं हैं वही खुशियाँ जमाने की

 

अगर सच है, तो वो सच है ,कभी कह भी दिया कोई

जरूरत क्या पड़ी थी आपको यूँ तिलमिलाने की

 

यक़ीं हो तो यक़ीं रखना नहीं तो बेयक़ीनी रख

तेरी आदत गलत लगती है मुझको, आजमाने की

 

अँधेरा इस क़दर हावी न हो पाता किसी आंगन

रही होती अगर चाहत दिये हर घर जलाने की

 

उदासी रोज़ अपना काम करती है बिला नागा

मगर आखों को आदत पड़ गई है मुस्कुराने की

 

अभी आवाज़ मद्धम है , ज़रा ऊँचे सुरों में रो

अभी आवाज़ आती है महज़ नक्कार ख़ाने की

 

मुझे गद्दारों से इस देश के इतना ही कहना है

जगह मुश्किल पड़ेगी खोजना कल सर छिपाने की

***********************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 810

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 9, 2015 at 12:01pm

शेर दर शेर दाद कबूले आदरणीय गिरिराज भंडारी जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 8, 2015 at 5:21pm

आदरणीय आशुतोष भाई , हौसला अफज़ाई का बेहद शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 8, 2015 at 5:21pm

आदरणीय हर्श भाई , सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 8, 2015 at 5:20pm

आदरणीय रवि शुक्ला भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका ह्र्दय से आभारी हूँ ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 7, 2015 at 1:18pm

आदरणीय गिरिराज भाई साब ..इस ग़ज़ल के सभी शेर मुझे पसंद आये ..इस रचना के प्रस्तुति पर आपको तहे दिल बधाई सादर 

Comment by Harash Mahajan on August 7, 2015 at 1:08pm

आ० गिरिराज जी .......बहुत ही असरदार अहसास हर शेर में

यक़ीं हो तो यक़ीं रखना नहीं तो बेयक़ीनी रख

तेरी आदत गलत लगती है मुझको, आजमाने की..........वाह ..क्या कहने !!

Comment by Ravi Shukla on August 7, 2015 at 11:24am

आरणीय गिरिराज जी

बहुत अच्‍छी ग़ज़ल कही आपने मतला शानदार है

और हमें निजी तौर पर ये शेर बेहद पंसद आया

उदासी रोज़ अपना काम करती है बिला नागा

मगर आखों को आदत पड़ गई है मुस्कुराने की

दिली दाद कुबूल करें । सादर ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 7, 2015 at 8:47am

आदरणीय कृष्णा भाई , आपकी स्नेहिल सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 7, 2015 at 8:47am

आदरणीय मिथिलेश भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे  दिल से शुक्रिया । आदरणीय सपाट बयानी वाले शे र के लिये कुछ सलाह हो तो ज़रूर बतायें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 7, 2015 at 8:45am

आदरणीय सुलभ भाई , सराहना के लिये आपका आभार ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
Monday
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service