For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक
----
मेरा नाम बिट्टो है,
कल मेरे गाँव का मेला है
सब खुश हैं
मेरी सहेली चुनिया
कह रही थी वह अब की
कान के बुँदे और कंगन लेगी
गुड्डू कह रहा था
वह इस बार बाबू से कह के
मेले में नुमाइश देखेगा
मेरा छुटका भाई
बैट बाल लेगा
अम्मा अपना टूटा तवा बदलेंगी
बाबू कुछ नहीं लेंगे
और मै भी कुछ नहीं लूंगी
क्यों कि हमें मालूम है
उनके पास बहुत ज़्यादा पैसे नही हैं
मै सिर्फ चुपचाप मेला देख के आ जाऊँगी
दो,
----
मै बिट्टो
मेरे बाबा दिहाड़ी पे गए हैं
अम्मा भी काम पे गयी है
लोगों के यहाँ चौक बासन करती है
मै घर पे तब तक छुटके (भाई) को सम्हालती हूँ
मै तीन क्लास तक पढ़ी हूँ
पर इस बार मेरी पढ़ाई छुड़ा दी गयी
छुटके को जो सम्भालना रहता है
और माँ के न रहने पर पानी भरना
झाड़ू बुहारू करना होता है
रात बापू कह रहा था
छुटके को अंगरेजी स्कूल में पढ़ाएगा
चाहे जो हो जाए
वैसे मेरा मन भी स्कूल जाने का होता है
पर, तब छुटके को कौन संभालेगा ?
तीन,
---
वैसे तो मेरा नाम बिट्टो है
पर पप्पू मुझे 'मेरी जान' कहता है
मुझे ये अच्छा नहीं लगता
वो देखता भी अजीब तरह से है
मैंने ये बात अम्मा को बताई थी
अम्मा ने मुझी को डांट दिया
'तो तू उसकी और देखती ही क्यूं है ?'
मुझे ये बात बापू से बताने में
शर्म आती है
मै क्या करूँ ?
वैसे पप्पू का 'मेरी जान' कहना अच्छा भी लगता है
पर उसकी नज़रें बड़ी गंदी हैं '
अरे ! मै भी कितनी देर से बातें करने में लगी हूँ
चलूँ झाड़ू बुहारू कर लूँ
वरना अम्मा आ के चिल्लाएँगी
छुटका भी तो उठने वाला है
उठते ही रोयेगा और कुछ खाने को मांगेगा
अच्छा मै चलती हूँ फिर बात करूंगी

मुकेश इलाहाबादी ------------------------

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 351

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on September 16, 2015 at 12:18pm

bahut bahut aabhar Dr Gopal Narayan Srivastava jee achna pasandge eke liye

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on July 13, 2015 at 12:24pm

aadarneey Dr. Gopal jee bahut bahut aabahr

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 13, 2015 at 9:14am

आदरणीय  मुकेश जी

बहुत ही मार्मिक चित्रण है . बड़े सलीके से आपने अपनी बात कही . आपको बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service