For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

योग दिवस की शुभ प्राची में

विश्व पटल पर अगणित होकर
कोटि कोटि नव योगी बनकर
वसुधैव कुटुंबकम रूपम
स्वप्न हमारा योग दिवस की
शुभ प्राची में सच सा ही प्रतीत होता है ।

भारत स्वयं ही जनक योग का
करे निवारण रोग रोग का
निज संस्कृति घोतक स्वरुप
आरोग्य प्रदायक विश्व शांति के हित
अर्पण करने का श्रेय लेने को मनोनीत होता है

विश्व गुरु वाली वह संज्ञा
केवल संज्ञा भर न रह कर
ज्ञान ज्योति जवाजल्यमान हो
पुनः विश्व तम को हरने का दम भरकर
भारत अपना परचम फहरा देने को तत्पर होता है

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Aditya Kumar 

Views: 640

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 13, 2015 at 4:12pm

आप इसी मंच पर भारतीय छन्द विधान समूह में पोस्ट हुए कुछ आलेख देख पाये हैं क्या ? आप उस समूह में कई तरह के आलेख देखेंगे. शीर्षक देखिये और आवश्यकतानुसार अध्ययन कीजिये. 

Comment by Aditya Kumar on July 13, 2015 at 3:22pm

जी आदरणीय अग्रज श्री   Saurabh Pandey जी, प्रयास कर रहा हूँ।  आप मुझे इतना बता दीजिये की मात्राएँ कैसे गिनते हैं और गुरु लघु क्या होते है।  मैंने बारह्वी तक हिंदी में पढ़े तो थे पर अब तोह बिलकुल भूल गया हूँ।  कोई हिंदी व्याकरण , छंद विधान आदि पर समग्र पुस्तक हो तो अवश्य ही बताएं 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2015 at 11:07pm

यह प्रस्तुति प्रभावित नहीं कर पायी, भाई आदित्य जी.  पिछली रचना कुछ सही थी. आप पद्य वधा परध्यान केन्द्रित करें.

शुभेच्छाएँ

सही अक्षरी है,  ज्वाजल्यमान

Comment by Aditya Kumar on June 24, 2015 at 6:18pm

हार्दिक धन्यवाद श्रीमान Hari Prakash Dubey  जी 

Comment by Hari Prakash Dubey on June 24, 2015 at 5:59pm

सुन्दर  प्रयास  आ. Aditya Kumar  जी  , बधाई  !

Comment by Aditya Kumar on June 24, 2015 at 5:06pm

जी आदरणीय अग्रज श्री गिरिराज भंडारी जी वो गलती से हो गया, मै सुधार दूंगा इसे। सराहना के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 24, 2015 at 4:57pm

आ. आदित्य भाई , बहुत सुन्दर , हार्दिक बधाइयाँ ।

शायद  -- जाजल्व्य मान , सही है क्या ? देख लीजियेगा

Comment by Aditya Kumar on June 24, 2015 at 2:52pm

Sadar Dhanyawad aadarneey shri  MUKESH SRIVASTAVA Ji 

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on June 24, 2015 at 12:43pm

sundar

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service