For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं हूँ बीमारे गम :हरि प्रकाश दुबे

मैं हूँ बीमारे गम लेकिन ऐसा नहीं,

जैसे जुल्फ से जुल्फ टूटकर गिर पड़े !

मेरा दिल कांच की चूड़ियां तो नहीं,

एक झटका लगे टूटकर गिर पड़े !

मैं हूँ बीमारे गम …………

 

मेरे महबूब ने मुस्कराते हुए ,

नकाब चेहरे से अपने सरका दिया !

चौदहवीं का चाँद रात शरमा गया,

चौदहवीं का चाँद

जितने तारे थे सब टूटकर गिर पड़े !

मैं हूँ बीमारे गम …………

 

जिक्र जब छिड़ गया उनकी अंगडाई का,

शाख से फूल यूँ ,टूट कर गिर पड़े ,

जैसे दुल्हन कोई प्यार की सेज पर,

जैसे दुल्हन कोई

जिंदगी के मजे लूट कर गिर पड़े !  

मैं हूँ बीमारे गम …………

 

हुस्नवालों की गलियों से मैयत मेरी,

रो के काँधे पे जिस दिन उठाई गयी,

कंघियाँ गेसूओं में फँसी रह गयीं,

आइनें हाथ से छूट कर गिर पड़े ! 

 

मैं हूँ बीमारे गम लेकिन ऐसा नहीं,

जैसे जुल्फ से जुल्फ टूटकर गिर पड़े !!

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित”

Views: 1576

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on March 30, 2015 at 9:16pm

आदरणीय समर कबीर जी, आप जैसे रचनाकार से उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया मिलना मेरे लिए किसी सम्मान से कम नहीं , बहुत बहुत शुक्रिया आपका ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 30, 2015 at 9:12pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी सर, आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह मिला आपका बहुत - बहुत धन्यवाद ! सादर

Comment by Hari Prakash Dubey on March 30, 2015 at 9:09pm

आदरणीय मोहन  सेठी जी , सही फरमाया आपने . आपके उत्साहवर्धन  एवं समर्थन के लिए हार्दिक आभार !

Comment by Hari Prakash Dubey on March 30, 2015 at 9:04pm

आदरणीय श्याम मठपाल जी सराहना भरी प्रतिक्रया के लिए हार्दिक आभार !

Comment by Hari Prakash Dubey on March 30, 2015 at 9:01pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर ,रचना पर आपकी उपस्थिति  और प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 30, 2015 at 9:00pm

आदरणीय मिथिलेश भाई ,रचना पर आपका समर्थन मिला ,मन  प्रसन्न हो गया ,आभार आपका !

Comment by Hari Prakash Dubey on March 30, 2015 at 8:57pm

आदरणीय जीतेन्द्र भाईसाहब  उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत - बहुत धन्यवाद ! सादर

Comment by Hari Prakash Dubey on March 30, 2015 at 8:54pm

आदरणीय  बृजेश नीरज जी , पहले इसे लिखना चाह रहा था जैसे जुल्फ़ो से जुल्फ टूटकर गिर पड़े ,पर लगा की ये सही नहीं होगा , मार्गर्शन अपेक्षित है ! सादर 

Comment by बृजेश नीरज on March 28, 2015 at 7:42am
"जैसे जुल्फ से जुल्फ टूटकर गिर पड़े"
मतलब?
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 27, 2015 at 11:21am

बहुत ही खूबसूरत अंदाज. दिली बधाई आदरणीय हरिप्रकाश जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service