For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नाम के बहाने (कहानी )

“शुभम|”

“यस सर|”

“ज्ञानू|”

“यस सर|”

“दुर्योधन|”

“हाजिर सSड़|”

यूँ तो पंचम ब वर्ग का ये अंतिम नाम था |परंतु परम्परा से परे प्राचीन महाकाव्य खलनायक का स्मरण

कर और हाजिरी देने के उसके लहजे से ध्यान बरबस ही उसकी तरफ टिक गया |

“दुर्योधन मेरे पास आओ|” मैंने आदेशात्मक लहजे में कहा |

लंबे चेहरे वाला वो लड़का सकुचाता सा मेरे सामने खड़ा हो गया |मैंने अपनी तीसरी कक्षा और पंचम के छात्रों को कार्य दिया |इस बीच वो गर्दन झुकाए ,जमीन को देखता हुआ,अपराधी भाव से मेरे सामने खड़ा रहा |

मुझे आज पंचम ब आज लंबे अन्तराल के बाद मिली है |विद्यालय में कुल नौ सेक्शन है और नियुक्त अध्यापक केवल आठ |गुप्ता जी से तालमेल के कारण मैंने तीसरी कक्षा ली थी परंतु उनकी पत्नी की बीमारी और बी.एल.ओं.ड्यूटी पर रहने के कारण अ और ब वर्ग पूरे साल मेरे ही जिम्मे रहे हैं |ऐसे में किसी अध्यापक के छुट्टी पर जाने पर भी मैं दूसरी कक्षाओं के बोझ से बचता रहा हूँ |परंतु आज एक टीचर के छुट्टी पर होने से तथा चार की मेधावी ड्यूटी लगने पर मुझे भी पंचम ब का दायित्त्व सौपा गया है |

मैं दुर्योधन को अपने साथ कक्षा से बाहर ले आया |वो थोड़ा सा असहज था |मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसके पापा का नाम पूछा |

“मदन मंडल |”उसने सपाट सा जवाब दिया |

नाम के पीछे के जातीय उपसर्ग से मैंने उसकी समाजिक और आर्थिक स्थिति का आंकलन करने की चेष्टा की |

“बिहार का कौन जिला से हो?” मैंने उसके संवाद के लहजे से अन्वेषण को आगे बढ़ाया |

सीतामढ़ी |

“तुम्हारा नाम दुर्योधन किसने रखा ?मेरा मतलब कि तुम्हें इस नाम से दिक्कत नहीं होता ?”

“ददा रखे हैं ये नाम |गाँव में तो मालूम नहीं चला पर दिल्ली आए तो मालूम हुआ कि गलत नाम धरा गया है |इस बार गाँव जाएँगे तो पंचायत में अर्जी देंगे |”

उसके भोलेपन से मैं गदगद था परंतु आश्चर्य था कि नाम बदलवाने को उसने इतनी सहजता से लिया था |

हर साल ही स्कूल में नाम ,पिता का नाम और जन्मतिथि सुधरवाने के लिए पुराने छात्र और उनके अभिभावक अभिभावक मिन्नते करते हैं |कर्तव्यवश हम पुराने रिकार्डों से आंकड़े का मिलान कर देते हैं पर इसके आगे हमारी विधायी शक्तियाँ हमे लाचार बना देती है |ये जानते हुए भी कि वर्ण या मात्रा का एक हेरफेर किसी छात्र के जीवन और अवसरों को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है |हाथ खड़े करने के अलावा हमारे पास कोई चारा नहीं होता |कई अभिभावक अपना काम बनाने के लिए पेशगी देने और हमे सर्वेसर्वा घोषित करने जैसे पारम्परिक नुस्खे भी आजमाते रहते हैं |हम उन्हें प्रचलित वैधानिक मार्ग सुझा देते |फिर भी अगर कोई नहीं मानता तो मुख्यालय का रस्ता सुझा कर अपनी बला काटते हैं |

पता नहीं इनमे से कितने लोग आगे जाकर अपना नया नाम प्राप्त करते हैं |परंतु दाखिले के समय की गई लापरवाही को बच्चे को ही भोगना पड़ता है |और उन गलतियों को सुधरवाना नाकों चने चबाने जैसा होता है |

“तुम्हारा गाँव का मकान कैसा है?”

“ईट का दीवार पे टाटी रखा है|”

“क्या सारा गाँव का घर ऐसा है|”

“नहीं ठाकुर और पंडित लोगों के टोला में अधिकतर लोगों का पक्का मकान है |हमारा घर तो नीतीश ने पक्का करवाया है|”

“तुम्हारे ददा और बाबा क्या करते है ?”

“बड़ा लोगों के खेत में मजूरी करते हैं |पहले ददा दिल्ली में रिक्शा चलाते थे |अब भाई चलाता है|”

“उहाँ पढ़ना अच्छा लगता था या इहाँ?”

“यहाँ सरजी रोज़ क्लास में आते हैं |उहाँ तो मास्टर साब कभी-कभी आते थे |सुलेख और पहाड़ देकर और दो-चार लरिकन को पीट के चले जाते थे |उहाँ दुसरे टोला का लड़का लोग भी ज़्यादा मेल-मिलाप नहीं करता था |ठाकुर –पंडित का लड़का लोग हमसे मार-पीट करता ,गालियाँ देता और मास्टर लोग भी उन्हीं की बात सुनता था |झाड़ू –पोछा भी छोटा बिरादरी के लड़का लोग लगाते थे |इहाँ ई सब नहीं करना पड़ता|”

“क्या तुम्हारा ये नाम तुम्हारे ददा ने किसी बड़मनई के दाब में तो नहीं रखा?”

“हमारे गाँव का ऐसा एक किस्सा है |एक ठाकुर साहब थे-दुर्गा सिंह |एक कहार ने अपने बेटे का नाम भी दुर्गा रख दिया |लड़के की अम्मा अक्सर पुकारती –रे दुर्गा !रे दुर्गा !खुनस के ठाकुर साहब ने पंचायत बुला ली और बेचारे को अपने बेटे का नाम बदलकर घूरउ रखना पड़ा|”मैंने उसे एक कथन में यह किस्सा कह डाला |

“ना-ना |उ हमारे द्ददा को महाभारत बहुत पसंन्द था |शादी-ब्याह,सरस्वती पूजा ,दुर्गा पूजा जहाँ भी महाभारत चलता ददा जरुर देखने जाते |इसीलिए उन्होंने हम तीनों भाइयों का नाम कर्ण अर्जुन और दुर्योधन रखा |”

नाम के इस रहस्य पे मैं मुस्कुरा पड़ा |स्थिति वो नहीं थी जैसी मैंने सोची थी |ये बालक दुर्योधन केवल नाम को था |नए बालकों के लिए बेशक बहुत से सुंदर और अर्थपूर्ण नाम मिलेंगे पर सच्चाई यही है कि पुराने समय में और पिछड़े गाँव-देहातों में अभी भी नाम को लेकर इतनी सजगता नहीं है|

रावण नाम की एक लड़की मेरी मित्र की सहपाठी रही है |स्वयं मैंने दसवी कक्षा एक ‘कंस’ नाम के नेपाली लड़के के साथ पास की है |माता-पिता की गलती सुधारने के लिए जब उसने ईन्टर के बाद जोर लगाया तो छह महीने तक कलेक्टर ,वकील और सी.बी.एस.सी. बोर्ड के चक्कर काटने के बाद वो ‘यश’ नाम की प्राप्ति कर पाया |परंतु इसके लिए उसे कितने पापड़ बेलने पड़े ये वही जानता है|फिर भी आज भी उसके पुराने परिचित भुलवश और मित्र मजकिया लहजे में उसे चिढ़ाते हैं तो वो झल्ला के कहता है अब वो ‘कंस’ नहीं ‘यश’ है|

.

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 881

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on February 19, 2015 at 4:39pm

Aadhrniya Somesh Kumarji 'blog open' karte hi aap ki katha saamne thi aur yakeen maaniye shuru karne ke baad samapti par hi ruka....Katha acchi lagi. Badhai saweekar kare,

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 19, 2015 at 12:58pm

प्रिय सोमेश

मुझेअच्छा  लगा कि तमने सीखने की कोशिश की i अब बहुत बदलाव है  और सकारात्मक बदलाव है i मैं धीरे धीरे टिप दूंगा तुम वैसे ही करते चलो  एक दिन अच्छे लेखक बनोगे i

टिप - कथा का अंत अप्रत्याशित या किसी नाजुक मोड़ पर होता है  i यहाँ कथान्त प्रभावपूर्ण  नहीं हो पाया है  i

   सस्नेह i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
12 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
13 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
17 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
21 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
23 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service