22-22-22 / 22-22-2 / 22-22-22
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ये नींद उड़ाते है,
ख़्वाब हसीं लेकिन,
रातों को रुलाते है।
नाचों फिर रो लेना,
कुछ शब बाकी है,
तारों फिर सो लेना।
सरहद पे दुश्मन है,
सरहद आँखों में,
आँखों में सावन है।
दो नैन हुए गीले,
बाप बिदाई दे,
लो हाथ हुए पीले।
गंगा में नहा लेना,
माटी फूल बने,
गंगा में बहा लेना।
आखिर कैसा घर है,
खिडकी पे दस्तक,
हैरान खुला दर है।
दिल एक सिकंदर है,
ख्वाब लिए कश्ती,
ये आँख समन्दर है।
नाहक दिन काटे है.
यार खुदा ने तो.
दिन गिन गिन बाटे है।
ग़ज़लों का मंजर है,
आज अरुजी भी ,
लफ़्ज़ों से बंजर है।
लफ़्ज़ों की चादर है,
तकिया मिसरों का,
ग़ज़लों का बिस्तर है।
अशआर सजा ले तू,
चुप रहने का भी,
ऐ यार मज़ा ले तू।
ये चंद ग़ज़ल नगमें,
याद करोगे तुम,
कल हम् जो नहीं होंगें।
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(मौलिक व अप्रकाशित) - मिथिलेश वामनकर
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माहिया
22-22-22 - फैलुन-फैलुन-फैलुन
22-22-2 - फैलुन-फैलुन-फ़ा
22-22-22 - फैलुन-फैलुन-फैलुन
Comment
माहिया 3-मिसरों की उर्दू काव्य में एक विधा है जिसमें पहला मिसरा और तीसरा मिसरा हम क़ाफ़िया और हमवज़्न होते हैं और दूसरा मिसरा हमकाफ़िया हो ये ज़रूरी नहीं है लेकिन दूसरे मिसरे में 2-मात्रा कम होती है। पंजाबी में माहिया बहुत कहे गए है । जगजीत सिंह जी व चित्रा सिंह जी द्वारा गाये गए माहिया प्रसिद्द है इसकी लय बहुत मीठी है .इस लिंक से यूट्यूब पर सुने जा सकते है http://youtu.be/5CV6w01O95Q
हिन्दी फ़िल्म फ़ागुन में ओ पी नैय्यर जी के संगीत से सजे मुहम्मद रफ़ी और आशा भोंसले जी द्वारा गाये माहिया इस लिंक से सुने जा सकते है http://youtu.be/PxCJUCGb2_c
तुम रूठ के मत जाना
मुझ से क्या शिकवा
दीवाना है दीवाना
यूँ हो गया बेगाना
तेरा मेरा क्या रिश्ता
ये तू ने नहीं जाना
उर्दू शायरी में माहिया के लिए निम्न बुनियादी औज़ान मुकर्रर हैं
22-22-22 - फैलुन-फैलुन-फैलुन
22-22-2 - फैलुन-फैलुन-फ़ा
22-22-22 - फैलुन-फैलुन-फैलुन
आदरणीय सोमेश कुमार जी सादर
पहली बार ये विधा पढ़ी है ,हो सके तो इस विधा पे प्रकाश डालें
नए माहिया....सादर
बढ़िया i सुन्दर i
अशआर सजा ले तू,
चुप रहने का भी,
ऐ यार मज़ा ले तू।
ये चंद ग़ज़ल नगमें,
याद करोगे तुम,
कल हम् जो नहीं होंगें।
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