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सभी को गले से लगाने लगे हैं |

सुना है सितारे सजाने लगे हैं |
सभी को गले से लगाने लगे हैं |


वहीँ जो लिए सात फेरे ख़ुशी में ,
जुदा हो ग़मों में जलाने लगे हैं |


नदी में नहा के किनारे खड़े हैं ,
जिगर से लगा के भुलाने लगे हैं |


जिसे देव माना सहारा समझ के , 
बेगाना बनाके सताने लगे हैं |


कहानी पुरानी वहीँ है ए वर्मा ,
निगाहें अभी भी चुराने लगे हैं |

.
श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 360

Comment

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Comment by Shyam Narain Verma on November 18, 2014 at 12:11pm

उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार!

सादर.................


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2014 at 9:57pm

आ. शयाम नारायण भाई , बहुत सुन्दर ! बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

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