For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अहसास

मधुप की ट्रेन खुल चुकी था। छुट्टियों के बाद वह वापस नौकरी पर जा रहा था। माधवी से मोबाइल पर बात होते –होते रह गयी, माधवी का गला जैसे रुँध गया हो। कुछ देर की चुप्पी के बाद वह  ‘ठीक है ....’ ही कह पायी थी।मधुप भी अतीत की स्मृतियों में खोने लगे,   ‘कितना खयाल रखती है माधवी उसका तथा परिवार के सभी लोगों का ? वह तो छोटी –छोटी बातों पर भी चिढ़ जाता है। तब माधवी कितने शांत लहजे में कहती है कि भला ऐसा क्या हो जाता है उन्हें कभी –कभी? बच्चों की तकलीफ जरा भी बर्दाश्त नहीं आपको। अभी कल ही क्या हुआ छोटी परी बुखार से पीड़ित थी, अचानक रोने लगी, मधुप की निद्रा उचट गयी। हुआ कि लगता है बच्ची पेट –दर्द से परेशान है, डाक्टर को मिलना चाहिए। माधवी आश्वस्त थी कि उसे पेट –दर्द तो नहीं है। एक माँ बखूबी बच्चे की तकलीफ समझती है। मधुप को लगा वह बेवजह की जिद कर रही है। उसने जरा ज़ोर से ही कह दिया कि आप जिद न करें, फिर सदा की भाँति खिन्न भी होता चला गया। वह खिन्नता के घेरे से निकल जाना चाहता था, पर एक झिझक जैसे जकड़े हुए थी उसे। पर माधवी की  व्यवहार जनित उष्णता से खिन्नता का हिम–खंड पिघल गया । फिर शाम हुई। दोनों चाय पी रहे थे और हँसते –हँसते माधवी बेटी से कह रही थी कि ये मुझसे आज ज़ोर से बोले। और मधुप उसे सहलाने –बहलाने की कोशिश कर रहा था, ‘बुरा मान गईं न आप?’

मधुप सोचता जा रहा था कि  आज कौन स्त्री इतना त्याग करती है भला ? घर –परिवार की देख्भाल के आगे अपना खयाल रखना ही छूट जाता था। इसके चलते भी कभी–कभी दोनों में कुछ अनबन –सी हो जाती थी। खैर अब अपना खयाल रखने लगी है।

 जब ब्याहकर आयी थी, तो मधुप का घर उतना अनुकूल  नहीं था। एक संभ्रांत घर की बेटी और यह साधारण –सा गरीब परिवार था। पर उसने अहसास न होने दिया किसीकों कि वह एक इतर किस्म के माहौल में आ गयी है। यहाँ तो रोज ही किचकिच होती रहती थी। लेकिन माधवी तो बस मधुप का मुँह देखती और निहाल रहती कि मेरे पास सबकुछ है जो मुझे चाहिए। कोई भी अभाव, कोई भी किचकिच मेरे निमित्त के आड़े नहीं आ सकते। जिसे चाहना चाहिए वह मुझे चाहता है बस।

                     "मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 389

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shubhranshu Pandey on October 28, 2014 at 11:41am

:)

Comment by Manan Kumar singh on October 12, 2014 at 11:01pm

इसे लघु कथा कह लें हम। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"विषय पर सार्थक दोहावली, हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी|"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाईसुशील जी, अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  इसकी मौन झंकार -इस खंड में…"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"दोहा पंचक. . . .  जीवन  एक संघर्ष जब तक तन में श्वास है, करे जिंदगी जंग ।कदम - कदम…"
Saturday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"उत्तम प्रस्तुति आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service