For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कठपुतली (प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा)

रंग बिरंगी पुतलियाँ, नयनन रही लुभाय
चित्त्तेरे भगवान् की, देखो महिमा गाय


पुतलियाँ निष्काम सदा, प्रेम से सराबोर
मानव फिर क्यों बन गया, कपटी लम्पट चोर

कठपुतलियाँ प्राण रहित, मानव में है जान
इनको नचाता मानव, मानव को भगवान


निरख निरख ये पुतलियाँ, मन है भाव विहोर
हाथों मेरे डोर है , मेरी प्रभु की ओर

रंग बिरंगी पुतलियाँ, मन को खूब लुभाय
नशा विहीन समाज हो , नाच नाच कह जाय

कठपुतले बन तो गये, पाकर तेरा रंग
डोर काट वे चल दिये , प्रभू रह गये दंग
.
मौलिक और अप्रकाशित
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
४-८-२०१४

Views: 555

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 6, 2014 at 8:37pm

सही शब्द चितेरा है, आदरणीय

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 6, 2014 at 4:16pm

सन्दर्भ ले लिया सर जी आभार , चितेतेरा ..चित्रकार भगवान समझा मैने 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 6, 2014 at 4:09pm

निश्चय ही मैं सदैव प्रयत्नशील रहूँगा कुछ अच्छा कर दिखाने   को. अगर ऐसा मार्ग दर्शन मिलता गया तों सफलता दूर नहीं होगी. 

सादर आभार 

आदरणीय श्री सौरभ पांडे जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 6, 2014 at 3:40pm

भारतीय छन्द विधान समूह में दोहा सम्बन्धित कुछ पोस्ट हैं. साथ ही, शब्द-संयोजन से सम्बन्धित भी एक लेख है.

मैं इनमें से निम्नलिखित आलेखों साझा कर रहा हूँ. ये हाइपर लिंक में होने से इन पर क्लिक कर क्रमशः उक्त आलेखों तक पहुँचा जा सकता है. आप, आदरणीय, इन्हें पढ़ कर आश्वस्त हो लें. कोई बात पूछनी हो तो उन्हीं आलेखों पर अपनी बात रख सकते हैं. हम समवेत सीखने के क्रम में तथ्यों को साझा करेंगे  - 

१. दोहा छंद : मूलभूत नियम

२. दोहा छंद में शुद्धता की आवश्यकता

३. मात्रिक पदों में शब्द-संयोजन

अब दोहे -

रंग बिरंगी पुतलियाँ, नयनन रही लुभाय
चित्त्तेरे भगवान् की, देखो महिमा गाय ... .  ............चित्त्तेरे  क्या शब्द है ?


पुतलियाँ निष्काम सदा, प्रेम से सराबोर  ................. प्रेम से सराबोर  में व्यवधान है. शब्द-संयोजन प ध्यान देना होगा.
मानव फिर क्यों बन गया, कपटी लम्पट चोर

कठपुतलियाँ प्राण रहित, मानव में है जान
इनको नचाता मानव, मानव को भगवान ............... इनको नचाता मानव में व्यवधान है. शब्द-संयोजन प ध्यान देना होगा.


निरख निरख ये पुतलियाँ, मन है भाव विहोर .........  विहोर   संभवतः विभोर है क्या ?
हाथों मेरे डोर है , मेरी प्रभु की ओर........................ दूसरा पद स्पष्ट नहीं है आदरणीय. 

रंग बिरंगी पुतलियाँ, मन को खूब लुभाय
नशा विहीन समाज हो , नाच नाच कह जाय ............ इस दोहे का विशिष्ट कारण है,


कठपुतले बन तो गये, पाकर तेरा रंग
डोर काट वे चल दिये , प्रभू रह गये दंग.. . .............  कौन काट कर चल दिया ? दूसरे पद में वे भ्रम पैदा कर रहा है. 

किन्तु, हम हृदय से आभारी हैं और अत्यंत प्रसन्न हैं कि आप छन्दों पर गहन अभ्यास कररहे हैं.

सादर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 6, 2014 at 1:20pm

आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय जी 

सादर अभिवादन 

मैने अपनी ताकत भर प्रयास किया है, अनुग्रहित होऊंगा यदि प्रक्टिकल करते हुए मुझे मार्ग दर्शन दिया जाए, प्रतीक्षा हमेशा थी और रहेगी. 

आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 6, 2014 at 1:17pm

आदरणीया मीना जी आपसे तारीफ़ नही सुझाव अपेक्षित हैं सादर आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 6, 2014 at 1:16pm

सादर आभार 

आदरणीय श्री अमोद जी . 

Comment by Amod Kumar Srivastava on August 5, 2014 at 10:06pm

सुंदर ... 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 5, 2014 at 7:16pm

इन दोहों को शिल्पगत करने की आवश्यता है. बशर्ते, प्रस्तुति के बन्द दोहे छन्दों का अनुसरण करते हैं.

सादर शुभेच्छाएँ.

Comment by Meena Pathak on August 5, 2014 at 5:18pm

बहुत उम्दा दोहे लिखे आपने ...सादर बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
14 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service