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फौलाद भी

चोट से आकार बदल लेते हैं

या टूट जाते हैं

फिर इंसान की क्या बिसात

कब तक सहेगा चोट

आखिर टूटना पड़ेगा

इंसान ही तो है

मगर

टूटकर भी कायम रहेगा

या बिखर जायेगा

ये इंसान की प्रकृति तय करेगी

 

हालात बदलने को तैयार है

पुरानी सड़क पर

डामर की नई परत बिछेंगी

खण्डरों का जीर्णोद्धार होगा

पुरानी इमारत के मलबे पड़े हैं

कुछ मलबे काम आयेंगे

कुछ मलबे मिटाये जायेंगे

ये इंसान भी

एक रोज़ मलबे की तरह पड़ा होगा

 

भंगार अनुपयोगी है

मगर भंगार की भी कीमत है

कुछ भंगार हैं

पानी की खाली बोतल की तरह

जिसकी कोई कीमत नही

खाली तो खत्म

मेरे दिल ने मुझसे पूछा

भंगार तुम्हे भी होना है

ये कहो

टूटकर भी काम आओगे

या टूटकर सड़ोगे?

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by शिज्जु "शकूर" on May 21, 2014 at 11:44am

आदरणीय जितेन्द्र भाई आपका बहुत बहुत शुक्रिया


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Comment by शिज्जु "शकूर" on May 21, 2014 at 11:43am

आदरणीय अरुण सर आपका हार्दिक आभार आदरणीय अरुण सर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 21, 2014 at 11:05am

गंभीर व् संघर्षरत इंसान का भविष्य हमेशा सुरक्षित होता है, इंसान जितना जमीन के ऊपर है अगर उतना ही जमीन के भीतर हो तो उसकी जड़े इतनी मजबूत हो जाती है कि बड़े से बड़ा तूफ़ान भी कुछ नही बिगाड़ सकता, सिर्फ एक-दो टहनियां ही तोड़ सकता है जो कि जड़ों की गहराई से वापस हरी-भरी हो जाती हैं. बस इंसान को अपने कर्तव्य व् जिम्मेदारियों पर डट कर रहना होगा.

इस सशक्त प्रस्तुति पर आपको पुन: बधाई आदरणीय शिज्जू जी


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Comment by अरुण कुमार निगम on May 21, 2014 at 10:49am

जेवण की सार्थकता को प्रतिपादित करती इस यथार्थपरक रचना के लिए भाई शिज्जू जी को बहुत बहुत  बधाइयाँ .......


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Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 6:57pm

आदरणीय कुंती जी रचना के अनुमोदन के लिये आपका तहेदिल से शुक्रिया


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Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 6:56pm

आदरणीय डॉ गोपाल सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया


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Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 6:55pm

आदरणीय आशुतोष सर आपका तहेदिल से शुक्रिया


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Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 6:54pm

आदरणीय विजय सर आप जैसे वरिष्ठ रचनाकार का अनुमोदन पाकर रचनाकर्म सार्थक हुआ आपका दिल से शुक्रिया


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Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 6:54pm

आदरणीय गिरिराज सर आप जैसे रचनाकारों की संलग्नता से हमेशा सार्थक रचनाकर्म की प्रेरणा मिलती है आपका हार्दिक आभार 


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Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 6:51pm

आदरणीया मीना जी आपका हार्दिक आभार

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