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कैसे भूलाऐ जा पाऐगे

बचपन की वो सुन्दर यादें
गांव की मिट्टी,पेड़ों के झूले
कैसे भूलाए जा पाऐगे
रोना,हसना,और मचलना
गिरना,गिरकर फिर से संभलना
कैसे भूलाए जा पाऐगे
पगडन्डी पर दौड़ लगना
खुली हवा से बातें करना
कैसे भूलाए जा पाऐगे
तितली,बन्दर और गिलहरी
मोदक,मक्खन और जलेबी
कैसे भूलाए जा पाऐगेम
माँ की रोटी,दादी की कहानी
छुटपन की सहेली मीना,रानी
कैसे भूलाऐ जा पाऐगे
बाबू जी का डान्ट लगाना
और प्यार से गोद उठाना
कैसे भूलाऐ जा पाऐगे
सावन के झूले ,अमवा की डाली
वो पनघट,वो हरियाली
कैसे भूलाऐ जा पाऐगो

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 696

Comment

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Comment by Pragya Srivastava on April 14, 2014 at 3:45pm
बहुत....बहुत धन्यवाद meena pathak जी
Comment by Meena Pathak on April 14, 2014 at 3:04pm

अति सुन्दर रचना .. बधाई आप को | सादर 

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