For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत कोकिला गाती रहना/नवगीत/कल्पना रामानी

बने रहें ये दिन बसंत के,

गीत कोकिला गाती

रहना।

 

मंथर होती गति जीवन की,

नई उमंगों से भर जाती।

कुंद जड़ें भी होतीं स्पंदित,

वसुधा मंद-मंद मुसकाती।

 

देखो जोग न ले अमराई,

उससे प्रीत जताती

रहना।

 

बोल तुम्हारे सखी घोलते,

जग में अमृत-रस की धारा।

प्रेम-नगर बन जाती जगती,

समय ठहर जाता बंजारा।

 

झाँक सकें ना ज्यों अँधियारे,

तुम प्रकाश बन आती

रहना।

 

जब फागुन के रंग उतरकर,

होली जन-जन संग मनाएँ।

मिलकर सारे सुमन प्राणियों

के मन स्नेहिल भाव जगाएँ।

 

तब तुम अपनी कूक-कूक से

जय उद्घोष गुँजाती

रहना।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 727

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on April 3, 2014 at 9:54pm

आदरणीय अरुण अनंत जी, आपकी टिप्पणी ने उत्साह में बीस गुनी वृद्धि कर दी। आपका हार्दिक धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on April 3, 2014 at 9:52pm

आदरणीय सौरभ जी, रचना पर आपके  अनुमोदन से सकारात्मक विचारों में और वृद्धि हो जाती है। आपका हृदय से आभार

Comment by कल्पना रामानी on April 3, 2014 at 9:50pm

आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी, आपकी ऊर्जावर्धित करती हुई सुंदर टिप्पणी के लिए मन से धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on April 3, 2014 at 9:48pm

आदरणीय लड़ीवाला जी,प्रोत्साहित करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद

Comment by Arun Sri on April 3, 2014 at 11:50am

//देखो जोग न ले अमराई//................ रोमांच हो आता है जब इस तरह का लिखा पढता हूँ ! ये एक पंक्ति बीसियों पर अकेले भारी ! बहुत सुन्दर गीत !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 3, 2014 at 11:41am

प्रकृति के बिम्बों से सनातन आनन्द को साझा करना आपकी विशिष्टता रही है आदरणीया. इस कड़ी में प्रस्तुत गीत सकारात्मकता के आयाम को कुछ और विस्तृत करता है. गीत की पंक्तियों को पढ़ता चला गया.
किन्तु इस पंक्ति के लिए तो बार-बार बधाई -
देखो जोग न ले अमराई,
उससे प्रीत जताती
रहना।

सादर

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 28, 2014 at 5:41pm

आदरणीय कल्पना जी बसंत और कोयल के माध्यम से बेहद सुंदर कामनाएं की गयी हैं ..चुनिन्दा शब्द,रस प्रबाह और प्राणी मात्र की खुशियों की कामना इस गीत को अत्यंत रोचक बना देते है ..हमेशा की तरह शानदार इस रचना पर मेरी तरफ से तहे दिल बधाई सादर ..

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 28, 2014 at 4:16pm

बसंत के सदर्भ में सुन्दर गीत रचना के लिए बधाई आदरणीया कल्पना रामानी जी 

Comment by कल्पना रामानी on March 27, 2014 at 9:57pm

आ॰ गिरिराज जी, आ॰ ब्रह्मचारीजी,  आ॰ अरुण अनंतजी, आ॰ श्याम नरेनजी, आ॰ कुंती जी, आप सबका रचना की  सराहना करके प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक आभार  

Comment by अरुन 'अनन्त' on March 27, 2014 at 3:57pm

आदरणीया कल्पना जी बहुत ही सुन्दर सरस मधुर नवगीत लिखा है आपने पढ़कर आनंद आ गया बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

ajay sharma shared a profile on Facebook
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service