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यक्ष प्रश्न !! ( लघु कथा)

यक्ष प्रश्न 

सास बहू के बिगड़ते सम्बन्धों पर बहुत ही प्रभावशाली जोशपूर्ण भाषण देने के बाद अब राधा देवी मीडिया वालों के सवालों के उत्तर दे रही थी. 
"मैडम ! लोग बेटी और बहू में अंतर क्यों करते हैं?"
"यह लोगों की नादानी ही नहीं बल्कि घोर पाप है। जो लड़की अपना मायका छोड़ कर ससुराल घर आई हो उसको तो सोने मे तौल कर रखना चाहिए।"
"लेकिन मैडम, हम ने सुना है कि आपकी अपनी बहू से नहीं बनती और आपने उसे घर से निकाल दिया है और बेटे को भी नहीं मिलने देती है । "
"नो मोर क्वेश्चन्स प्लीज़।"

अप्रकाशित एवं मौलिक 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 5, 2014 at 10:08am

अच्छा प्रयास हुआ है. वैसे, जाने क्यों लग रहा है कथा की नाटकीयता कुछ और झटकों की मांग कर रही थी. फिर भी एक अच्छी लघुकथा की कोशिश हुई है.

शुभेच्छाएँ

Comment by annapurna bajpai on February 26, 2014 at 1:08am

आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by annapurna bajpai on February 26, 2014 at 1:07am

आ0 शुभ्रांशु पांडे जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by annapurna bajpai on February 26, 2014 at 1:07am

आदरणीय बृजेश जी आपको लघु कथा पसंद आई , आपका आभार । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 24, 2014 at 9:40pm

बहुत सुन्दर लघु कथा आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेयी जी 

मंचीय भाषणों में बड़ी बड़ी बातें कह जाने वाले व्यक्ति जब अपने कथ्यों की कसौटी पर तौले जाते हैं... तो निरुत्तर ही हो जाते हैं 

बहुत बहुत बधाई इस सुगढ़ प्रस्तुति पर.

Comment by Shubhranshu Pandey on February 22, 2014 at 8:44pm

आदरणीय अन्न्पूर्णा जी,

सवालों के घेरे में आने के बाद जबाब देना मुश्किल हो जाता है, यही सवाल अगर दूसरों के बदले स्वयं से पूछ लेती तो शायद प्रश्नों के चक्कर में नहीं आ पातीं

सादर.

Comment by बृजेश नीरज on February 21, 2014 at 7:21pm

अच्छी लघुकथा! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by annapurna bajpai on February 21, 2014 at 6:55pm

आदरणीय विजय निकोर जी एवं आ0 आशुतोष जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 21, 2014 at 3:44pm

लाजबाब ..बिलकुल ऐसा ही होता है ..जब अपनी हकीकत सामने आती है तो ..कमाल की लघु कथा ..सादर बधाई के साथ 

Comment by vijay nikore on February 21, 2014 at 3:11pm

समाज में कब से ऐसा ही हो रहा है, और इस क्षेत्र में सुधार बहुत ही धीरे हो रहा है।  

इस अच्छी लघु कथा के लिए आपको हार्दिक बधाई, आदरणीया अन्नपूर्णा जी।

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