For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यक्ष प्रश्न !! ( लघु कथा)

यक्ष प्रश्न 

सास बहू के बिगड़ते सम्बन्धों पर बहुत ही प्रभावशाली जोशपूर्ण भाषण देने के बाद अब राधा देवी मीडिया वालों के सवालों के उत्तर दे रही थी. 
"मैडम ! लोग बेटी और बहू में अंतर क्यों करते हैं?"
"यह लोगों की नादानी ही नहीं बल्कि घोर पाप है। जो लड़की अपना मायका छोड़ कर ससुराल घर आई हो उसको तो सोने मे तौल कर रखना चाहिए।"
"लेकिन मैडम, हम ने सुना है कि आपकी अपनी बहू से नहीं बनती और आपने उसे घर से निकाल दिया है और बेटे को भी नहीं मिलने देती है । "
"नो मोर क्वेश्चन्स प्लीज़।"

अप्रकाशित एवं मौलिक 

Views: 688

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 5, 2014 at 10:08am

अच्छा प्रयास हुआ है. वैसे, जाने क्यों लग रहा है कथा की नाटकीयता कुछ और झटकों की मांग कर रही थी. फिर भी एक अच्छी लघुकथा की कोशिश हुई है.

शुभेच्छाएँ

Comment by annapurna bajpai on February 26, 2014 at 1:08am

आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by annapurna bajpai on February 26, 2014 at 1:07am

आ0 शुभ्रांशु पांडे जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by annapurna bajpai on February 26, 2014 at 1:07am

आदरणीय बृजेश जी आपको लघु कथा पसंद आई , आपका आभार । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 24, 2014 at 9:40pm

बहुत सुन्दर लघु कथा आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेयी जी 

मंचीय भाषणों में बड़ी बड़ी बातें कह जाने वाले व्यक्ति जब अपने कथ्यों की कसौटी पर तौले जाते हैं... तो निरुत्तर ही हो जाते हैं 

बहुत बहुत बधाई इस सुगढ़ प्रस्तुति पर.

Comment by Shubhranshu Pandey on February 22, 2014 at 8:44pm

आदरणीय अन्न्पूर्णा जी,

सवालों के घेरे में आने के बाद जबाब देना मुश्किल हो जाता है, यही सवाल अगर दूसरों के बदले स्वयं से पूछ लेती तो शायद प्रश्नों के चक्कर में नहीं आ पातीं

सादर.

Comment by बृजेश नीरज on February 21, 2014 at 7:21pm

अच्छी लघुकथा! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by annapurna bajpai on February 21, 2014 at 6:55pm

आदरणीय विजय निकोर जी एवं आ0 आशुतोष जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 21, 2014 at 3:44pm

लाजबाब ..बिलकुल ऐसा ही होता है ..जब अपनी हकीकत सामने आती है तो ..कमाल की लघु कथा ..सादर बधाई के साथ 

Comment by vijay nikore on February 21, 2014 at 3:11pm

समाज में कब से ऐसा ही हो रहा है, और इस क्षेत्र में सुधार बहुत ही धीरे हो रहा है।  

इस अच्छी लघु कथा के लिए आपको हार्दिक बधाई, आदरणीया अन्नपूर्णा जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
yesterday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service